Ajab GajabBhopalBusinessFEATUREDGeneralGwalior newsIndoreJabalpurLatestMadhya PradeshNationalNewsPolitics

गेहूं खरीद में मध्य प्रदेश के पिछड़ने पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा, कहा ‘मोदी सरकार MP के किसानों से माफी मांगे’

भोपाल : जीतू पटवारी ने गेहूं खरीद में मध्य प्रदेश के तीसरे नंबर पर खिसकने को लेकर सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि ये बेहद चिंता है कि 80 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य की बजाय मप्र में इस बार सिर्फ 48 एलएमटी गेहूं की ही खरीद हो सकी है। पटवारी ने कहा कि किसानों की उपेक्षा के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को मध्य प्रदेश के किसानों से माफी मांगनी चाहिए।

गेहूं खरीद में तीसरे नंबर पर खिसका एमपी

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ‘मीडिया रिपोर्ट ऐसे समय पब्लिक डोमेन में आई है, जब केंद्रीय कृषि मंत्री भी मध्य प्रदेश में ही हैं। 4 सालों में पंजाब के साथ गेहूं खरीद में टॉप 2 में रहा मप्र इस साल तीसरे नंबर पर खिसक गया है। यह चौंकाने वाली चिंता है कि 80 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य की बजाय मप्र में इस बार सिर्फ 48 एलएमटी गेहूं की ही खरीद हो सकी है। यह लक्ष्य से 40% कम है! वैसे तो मप्र में 15.46 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 6.13 लाख ने ही सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचा! क्यों ? सच्चाई यह है कि बीजेपी सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2,700 रुपए प्रति क्विंटल करने का वादा किया, तो लाखों रजिस्ट्रेशन हो गए! भाजपा को वोट नहीं देने वाले किसानों को भी उम्मीद थी कि इस बार उनका भला होगा। लेकिन, 125 रुपए बोनस के साथ जब खरीदी मूल्य 2,400 रुपए प्रति क्विंटल ही रहा, तो नाराज किसान मंडियों में चले गए! किसानों ने इसे बीजेपी की राजनीतिक धोखाधड़ी और वोट लूटने की रणनीति माना’।

मोदी सरकार किसानों से मांगे माफी 

उन्होंने कहा कि ‘जानकारों का यह भी कहना है कि रजिस्ट्रेशन फरवरी के अंत में शुरू हुए, लेकिन बोनस की घोषणा मार्च के दूसरे हफ्ते में हुई। देरी और इस वादाखिलाफी के बाद ही नाराज किसान मंडियों का रुख करने लगे। तब विपक्ष के साथ मीडिया ने  सरकार को चेताया, किंतु सरकार सोई रही। पूछा तो यह भी जाना चाहिए कि मध्य प्रदेश सरकार क्यों भूल गई कि खरीदी भी 20 मार्च के बाद शुरू हुई, जबकि मालवा जैसे क्षेत्र में एक हफ्ते पहले ही गेहूं फसल बाजार में आ जाती है और मालवा मध्य प्रदेश का एक बड़ा गेहूं उत्पादक इलाका है। गेहूं खरीद में मध्यप्रदेश के पीछे रहने के लिए केवल और केवल मोहन सरकार की नासमझी और किसानों के साथ वादा करके मुकर जाने की नीति है। किसानों की इस उपेक्षा से उनके मन में अविश्वास का भाव आया और उन्होंने सरकार की बजाय बाजार पर भरोसा कर लिया। नरेंद्र मोदी सरकार को मध्य प्रदेश के किसानों से माफी मांगनी चाहिए व ₹2700 प्रति क्विंटल के हिसाब से बकाया भुगतान भी तुरंत करना चाहिए। अन्यथा आने वाले समय में पूरे देश में खरीद को लेकर मध्य प्रदेश की और ज्यादा किरकिरी होगी’।