कांग्रेस ने शिक्षण संस्थाओं के लिए जारी मध्य प्रदेश सरकार के इस आदेश पर जताई कड़ी आपत्ति, कहा ‘कांग्रेस की सरकार बनने पर पलट देंगे आदेश’
भोपाल : कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार सभी सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं पर राष्ट्रीय सेवक संघ से जुड़े लेखकों की पुस्तकें ख़रीदने का दबाव बना रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने कहा है कि इसे लेकर आदेश जारी कर दिया गया है और उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर वो इस आदेश को ख़त्म करवाएँगे।
कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को घेरा
केके मिश्रा ने एक्स पर लिखा है कि ‘राज्य सरकार ने RSS से जुड़े लेखकों द्वारा लिखित पुस्तकें शासकीय/अशासकीय शिक्षण संस्थाओं को ख़रीदने का किया फ़रमान जारी! उल्लेखनीय है,जिन लेखकों के नाम इस सूची में शामिल हैं उनका शिक्षा जगत से कोई ताल्लुक़ नहीं,वे सिर्फ़ एक विचारधारा विशेष को ही समर्पित रहे हैं,कांग्रेस सरकार बनने पर हम इस आदेश का ख़ात्मा करवायेंगे।
उन्होंने आगे लिखा है कि ‘क्या उक्त लेखकगण तरुणाई को यह समझाने में सफल होंगे कि “यह संघ विचारधारा वही है जिसका जंगे आज़ादी से कभी भी किसी भी प्रकार का कोई भी संबंध नहीं रहा ! क्या यह विचारधारा वही है जिसने अंग्रेजों को इस आंदोलन को ध्वस्त करने के लिए कार्ययोजनायें बनाकर दी ! क्या यह भी असत्य है कि संघ ने 21 जन.1930 को जारी अपने एक सर्कुलर में सभी शाखाओं को संघ के संकल्प का समर्थन करने के लिए राष्ट्रध्वज के रूप में “भगवे ध्वज” का वंदन करने का फ़रमान जारी किया था ! क्या यह भी झूठ है कि 1947 में संघ की अधिकृत पत्रिका “आर्गेनाइज़र” में यह प्रकाशित किया था कि “तिरंगे के तीन रंगों का विपरीत मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा,जो देश के लिए हानिकारक है,देश का हिंदू,तिरंगे को न कभी अपनाएगा और न ही सम्मान करेगा”! क्या ऐसी विचारधारा से जुड़े लेखकों की पुस्तकें शिक्षण संस्थाओं में किस राष्ट्रप्रेम व बलिदानों की प्रेरणा बनेंगी? क्या ऐसी ही विचारधारा को तिरंगा यात्रा निकालने का भी नैतिक अधिकार है?