मध्य प्रदेश सरकार के बजट पर कांग्रेस ने किए सवाल, जीतू पटवारी का आरोप ‘सबसे ज़्यादा बजट का प्रावधान वहाँ, जहां कमीशन और आर्थिक गड़बड़ी की संभावना’
भोपाल : एक दिन पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में डॉ. मोहन यादव सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया। मुख्यमंत्री ने इस बजट को जनकल्याणकारी बताया और कहा कि आने वाले 5 साल में ये बजट दोगुना किया जाएगा। लेकिन कांग्रेस ने इसे नाउम्मीद करने वाला बजट बताया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि राज्य सरकार कर्ज़ के बोझ में दबी हुई है और बजट में सबसे ज़्यादा प्रावधान उस क्षेत्र में किया गया है जहां सबसे ज़्यादा कमीशन और आर्थिक गड़बड़ी की संभावना होगी है।
कांग्रेस ने कहा ‘कर्ज़ में डूबी है बीजेपी सरकार’
जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा है कि’ कर्ज के घने जंगल में, सूखी जमीन पर फिर मुरझाए पौधों को रोपने की तैयारी का मतलब है बीजेपी सरकार का बजट। मोहन भैया, मध्यप्रदेश में वर्तमान में हर व्यक्ति पर 45 हजार रु. का कर्ज है। मार्च 2025 में यह बढ़कर 55 हजार रु. हो जाएगा। साल 2023 से 2024 के बीच एक साल में प्रति व्यक्ति कर्ज 6 हजार रु. बढ़कर 39 हजार रुपए से 45 हजार रु. हो गया। आंकड़ों के इस हिसाब से अगले एक साल में यह 10 हजार रु. और बढ़ जाएगा। 3.65 लाख करोड़ रुपए के बजट में कुल राजस्व आय 2.63 लाख करोड़ रुपए है और साल भर के खर्च 3.26 लाख करोड़ रुपए है।इस गणित को यदि आर्थिक विश्लेषण के दृष्टिकोण से समझा जाए, तो राज्य सरकार को खर्चों के लिए 31 मार्च 2025 तक ₹94,431 करोड़ का कर्ज लेना होगा। इसमें बाजार से कर्ज की राशि 64,591 करोड़ रुपए होगी। 2023 मार्च की स्थिति में प्रदेश पर कुल कर्ज 3,19,109 करोड़ रुपए था। जुलाई 2024 तक प्रदेश पर 3,75,578 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 55 हजार का कर्ज और होगा। तब राज्य पर कुल कर्ज का भार 4.41 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा।
जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री से किए सवाल
उन्होंने कहा कि ‘अपनी स्थापना के बाद बेरोजगारी का सबसे बड़ा दौर देख रहा मध्यप्रदेश अब रोजगार के नाम पर सबसे बड़ा झूठ भी सुन रहा है। यदि 95 हजार करोड़ कर्ज लेकर 4 लाख नौकरियां देने का दावा किया जा रहा है, तो इसे सिर्फ खुली आंखों से देखा गया, बंद भविष्य का सपना ही कहा जा सकता है। झूठे सपने की इस बुनियाद में पिछले साल का झूठ भी छुपा हुआ है, क्योंकि आपके इस झूठे दावे के बाद मध्य प्रदेश की जनता अब यह भी जानना चाहती है कि पिछले साल कर्ज लेकर कितने रोजगार देने का दावा किया गया और हकीकत में कितने रोजगार दिए गए? अकेले इस एक सवाल का जवाब मिलने से ही आपके पूरे बजट का सार समझ आ जाएगा। जबकि गांव, गरीब, किसान और महिलाएं इस बजट के जरिए आत्मनिर्भर आर्थिक संपन्नता का सपना देख रहे थे। न लाड़लियों को 3000 रुपए मिले, न किसानों को घोषित समर्थन मूल्य मिलने की उम्मीद दिखाई दी। वैसे आपको यह भी बताना ही चाहिए कि सबसे ज्यादा बजट का प्रावधान वहीं क्यों किया गया है, जहां सबसे ज्यादा कमीशन व आर्थिक गड़बड़ी की संभावनाएं होती हैं? जनता यह भी जानना चाहती है कि लूट का पर्ची प्रबंधन क्या यहां भी पहले की तरह जारी रहेगा?’