भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर की संभावना कम – वैज्ञानिक
ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर रमन गंगाखेडकर ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस के तीसरी लहर) की आशंका ‘बहुत कम’ है. उन्होंने दावा किया कि अगर ऐसा होता भी है तो यह दूसरी लहर की अपेक्षा बहुत कमजोर होगा. महामारी विज्ञानी ने कहा कि स्कूल खोलने का निर्णय जल्दबाजी में नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि कुछ नई स्टडीज में कहा गया है कि बच्चों में कोविड का प्रभाव लंबे समय तक गंभीर हो सकता है. उन्होंने कहा कि ‘स्कूल खोलने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण होना चाहिए. एक निश्चित क्षेत्र में मामलों की संख्या के आधार पर फैसला लिया जाना चाहिए.’
शीर्ष वैज्ञानिक का मानना है कि कोविड-19 आगे चलके इन्फ्लूएंजा वायरस की तरह ही बन सकता है. उन्होंने कहा ‘टीका लगवाने वालों को कोविड संक्रमण के बाद या तो उनमें लक्षण नहीं दिखेंगे या माइल्ड सिम्पटम होंगे.’ गंगाखेडकर ने कहा ‘हालांकि संक्रमणों की संख्या में वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि टीके ‘स्टरलाइज़िंग इम्युनिटी’ नहीं देते, जो संक्रमण को भी रोक सकते हैं. ये टीके डिसीज मोडिफाइंग हैं लेकिन लोगों को संक्रमण से बचाने में सक्षम नहीं हैं.’
कब तक कोरोना के बढ़ते मामलों से डरने की जरूरत नहीं?
ICMR के पूर्व अधिकारी ने कहा कि जब तक कोई नया वेरिएंट ना हो या टीके असर करना बंद ना करे, तब तक कोरोना के बढ़ते मामलों से डरने की कोई वजह नहीं है. उन्होंने कहा, ‘वायरस उन क्षेत्रों में फैलेगा जहां पहली और दूसरी लहर का असर कम रहा होगा. वायरस उन लोगों को प्रभावित करेगा जिन्हें अभी भी टीका नहीं लगाया गया है.’
उन्होंने कहा कि ‘कोविड हमें बहुत कुछ सिखा रहा है. यह मैं अपने अनुभव से समझता हूं. कोविड से संबंधित फैसलों में कुछ भी शत-प्रतिशत सुनिश्चित नहीं हो सकता है कि क्या सबसे अच्छा काम करेगा और कौन सा बिल्कुल भी काम नहीं करेगा. हमें सीखना जारी रखना होगा और अपने दृष्टिकोण में बदलाव करते रहना होगा.’