चंबल एक्सप्रेस-वे अब चंबल प्रोग्रेस-वे हुआ, ग्रामीण पथ विक्रेताओं को 10 हजार रुपए ऋण दिया जाएगा
- मध्यप्रदेश सरकार की वर्चुअल मीटिंग में लिया गया फैसला
- आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का रोडमैप 15 अगस्त से दे दें
- कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध बेड 12 हजार करने के निर्देश
भोपाल। मध्यप्रदेश कैबिनेट की वर्चुअल मीटिंग में बड़ा निर्णय लेते हुए कैबिनेट ने 309 किमी लंबे चंबल एक्सप्रेस-वे का नाम बदलकर इसे ‘चंबल प्रोग्रेस वे’ रखा है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार ग्रामीण पथ विक्रेताओं को भी 10 हजार रुपए ऋण देगी। 22 ग्राम पंचायतों को फिर से नगर पंचायत का दर्जा मिलेगा, जिन्हें कमलनाथ सरकार ने ग्राम पंचायत बना दिया था। इसका अनुमोदन कैबिनेट ने कर दिया गया है। सीएम ने सभी मंत्रियों से कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का रोडमैप तैयार करें और 15 अगस्त से पहले रिपोर्ट दे दें।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना रिपोर्ट भी कैबिनेट में रखवाई। इसमें बताया गया कि प्रदेश में अब तक 20 हजार 300 से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं। रिकवरी रेट अब भी ठीक स्तर पर है। उन्होंने प्रदेश में कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध 800 बेड को बढ़ाकर 12 हजार करने के निर्देश दिए। सीएम ने मंत्रियों से कहा कि लॉकडाउन कोरोना को कम करने या रोकने का एकमात्र उपाय नहीं है, इसके लिए दूसरे विकल्पों पर भी विचार करें।
मंगलवार को वर्चुअल मीटिंग में चिरायु अस्पताल से सीएम शिवराज और अपने घरों से कैबिनेट मंत्री जुड़े। सीएम शिवराज ने कहा कि पहली बार हो रही वर्चुअल कैबिनेट बैठक इस बात का परिचायक है कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, हम राज्य के जनता के कार्य रुकने नहीं देंगे। सीएम ने अपने स्वास्थ्य की जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं। कल से उन्हें बुखार नहीं आया और खांसी पर भी नियंत्रण है।
इसलिए बदला चंबल एक्सप्रेस-वे का नाम
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि चंबल प्रोग्रेस-वे के नाम से जाना जाएगा। ये नाम वास्तव में सार्थक भी होगा। वो चंबल, जो कभी दुर्दांत डाकुओं के लिए जाना जाता था। इन्हीं शिवराज सिं जी के कार्यकाल में वहां पर शांति हुई। अब यही शिवराज सिंह चौहान हैं, जो यहां पर चंबल प्रोग्रेस-वे बनाकर एक क्रांति लाने जा रहे हैं। औद्योगिक क्रांति, रोजगार क्रांति लाने जा रहे हैं, जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा।
किसानों को जमीन के बदले जमीन देंगे
ये चंबल प्रोग्रेस-वे मध्य प्रदेश राजस्थान सीमा से मुरैना होते हुए भिंड जिले तक 309 किमी का ग्रीन फील्ड फोरलेन एक्सप्रेस-वे होगा, भारत सरकार के भारत माला प्रोजेक्ट से जुड़ेगा। इसे आज कैबिनेट ने अनुमोदन प्रदान किया। इसमें राज्य सरकार भूमि अर्जित करेगी। किसान को जमीन के बदले भूमि दी जाएगी। मिट्टी और मुरम उठाने वालों को रॉयल्टी में छूट दी जाएगी।
ग्रामीण पथ विक्रेताओं को ऋण
प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना को और निचले स्तर पर ले जाकर अब मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता ऋण योजना शुरू की गई है। ये पहले नगर पालिका, नगर निगम तक थी, जिसे अब पंचायत तक ले जाने का निर्णय लिया गया है। ग्रामीण पथ विक्रताओं को 10 हजार का ऋण मिलेगा और अगर उसने तय समय से ऋण लौटाया गया तो अगले साल 20 हजार रुपए दिए जाएंगे। इसकी स्वीकृति मिली है। इसके लिए अब तक प्रदेशभर से 8 लाख 56 हजार 697 आवेदन आ चुके हैं, इसमें 64 फीसदी महिलाएं हैं। इसके लिए कार्यक्रम होंगे और उन्हें ऋण वितरित किए जाएंगे।
22 ग्राम पंचायतें फिर से नगर पंचायत बनीं
नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि हमारी सरकार के समय में प्रदेश में 22 नई नगर पंचायत बनाई गई थीं। उन नगर पंचायतों को कांग्रेस सरकार ने फिर से ग्राम पंचायत बना दिया था। आज कैबिनेट ने उन्हें फिर से नगर पंचायत में बहाल कर दिया है। इसमें केवल एक नगर पंचायत केवलारी के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री को जिम्मेदारी दी है कि वह इसकी जानकारी लें और इसके बाद उसे भी बना दिया जाएगा। 21 की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
क्या है चंबल प्रोग्रेस वे ?
मध्यप्रदेश के चंबल-ग्वालियर क्षेत्र के लिए बड़ी सौगात चंबल प्रोग्रेस वे 8,250 करोड़ की लागत से बनने वाला 309 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा और कानपुर को दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर से सीधे जोड़ेगा। चंबल के इलाके को देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक माना जाता है। यहां पर कई जनजाति के लोग निवास करते हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि चंबल एक्सप्रेस-वे के बनने से यहां के लोगों की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आएगा। युवाओं को रोजगार मिलेगा। साथ ही सबसे बड़ा फायदा तीनों राज्यों के गरीब किसानों को होगा। जो दिल्ली-मुंबई के बाजार में अपनी उपज सीधे बेच सकेंगे।