मंडियों में मंडी-शुल्क कम करने की मांग को लेकर कारोबारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
भोपाल: मध्य प्रदेश में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा संचालित मंडियों में मंडी-शुल्क कम करने की मांग को लेकर कारोबारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं केंद्र के कृषि से जुड़े विधेयकों को संसद की मंजूरी मिलने के बाद देशभर में एपीएमसी मंडियों के व्यापारी मंडी शुल्क कम करने और समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि विधेयक में मंडी के बाहर कृषि उत्पादों के विपणन पर कोई शुल्क नहीं है.
मध्य प्रदेश की करीब 270 कृषि उपज मंडियों के कारोबारी गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. मध्य प्रदेश की नीमच मंडी के व्यापारी पीयूष गोयल ने बताया कि मंडी में अनिश्चितकालीन हड़ताल है और व्यापारी मंडी शुल्क कम करने की मांग कर रहे हैं. प्रदेश की मंडियों में कृषि उत्पादों के विपणन पर 1.70 फीसदी शुल्क लगता है, जिसमें 0.20 फीसदी निराश्रित शुल्क है.
मध्य प्रदेश में सकल अनाज दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने कहा, “हमारी मांग है कि सरकार निराश्रित शुल्क समाप्त करे और मंडी शुल्क 1.50 फीसदी से घटाकर 0.50 फीसदी करे.” उन्होंने कहा कि मंडी शुल्क घटने से मंडियों में कारोबार पर ज्यादा असर नहीं होगा.
मध्य प्रदेश खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि व्यापारियों ने फैसला लिया है कि वे अब मंडी शुल्क नहीं देंगे और इस बाबत वह प्रदेश सरकार को एक पत्र भेजने जा रहे हैं, जिसमें 15 दिनों के भीतर मंडी शुल्क समाप्त करने की मांग की जा रही है.
बता दें कि कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों- कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को संसद की मंजूरी मिल चुकी है. ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे.