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सूर्य को जल दें और अपने ग्रहों को मजबूत करें

ज्योति शास्त्र के मुताबिक सूर्य ही वह ग्रह है जो व्यक्ति को सम्मान दिलाता है. नियमित रूप से सूर्य देव को जल चढ़ाने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है. उसे लोगों से सहयोग मिलता है और उच्च पद का भी सम्मान मिलता है.


ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव को सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली माना गया है. वहीं धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सूर्य को देवता श्रेणी में रखा गया है. इसलिए इन्हें प्रत्यक्ष देव भी कहा जाता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सूर्य का विशेष महत्व है. इसे सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. सूर्य की किरणें शरीर में मौजूद बैक्टीरिया को दूर कर निरोग बनाने का कार्य करती हैं.


वैसे यदि धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो सूर्य देव को आत्मा का कारक माना गया है. इसलिए सुबह सूर्य देव के दर्शन से मन को बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती है. साथ ही ये शरीर में स्फूर्ति भी लाता है. प्रत्येक सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से भाग्य अच्छा होता है. सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण होते है. हर कोई आपसे खुश रहता है और आपके लिए निष्ठावान रहता है. ज्योति शास्त्र के मुताबिक सूर्य ही वह ग्रह है जो व्यक्ति को सम्मान दिलाता है. नियमित रूप से सूर्य देव को जल चढ़ाने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है. उसे लोगों से सहयोग मिलता है और उच्च पद का भी सम्मान मिलता है.

विधि

सूर्य देव को जल चढ़ाने का सबसे पहला नियम यह है कि उन्हें प्रात: 8 बजे से पहले ही अर्घ्य दे देना चाहिए. नियमित क्रियाओं से मुक्त होकर और स्नान करने के बाद ही ऐसा किया जाना चाहिए. सूर्य को जल देने के लिए शीशे, प्लास्टिक, चांदी आदि किसी भी धातु के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए. सूर्य को जल देते समय केवल तांबे के पात्र का ही प्रयोग उचित है. सूर्य को जल चढ़ाने से अन्य ग्रह भी मजबूत होते हैं. कुछ लोग सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में गुड़ या चावल भी मिला लेते हैं. ये अर्थहीन है, इससे प्रभाव कम होने लगता है.


सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूरब दिशा की ओर ही होना चाहिए. अगर कभी पूरब दिशा की ओर सूर्य नजर न आएं तब ऐसी स्थिति में उसी दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्घ्य दें. सूर्य को जल देते समय आप उसमें पुष्प और अक्षत (चावल) मिला सकते हैं. साथ ही साथ अगर आप सूर्य मंत्र का जाप भी करते रहेंगे तो आपको विशेष लाभ प्राप्त होगा. लाल वस्त्र पहनकर सूर्य को जल देना ज्यादा प्रभावी माना गया है, जल अर्पित करने के बाद धूप से पूजा भी करनी चाहिए.