बीजेपी विधायक की शिवराज सरकार को चेतावनी
भाजपा के अंदर का असंतोष अब बाहर निकलने लगा है. मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री और महाकौशल क्षेत्र के बड़े भाजपा नेता अजय विश्नोई का दर्द एक बार फिर छलका है. उनका कहना है कि वर्तमान शिवराज सरकार में महाकौशल की उपेक्षा हुई है. विश्नोई ने कहा कि पार्टी ने ही हमें सिखाया है, ”पहले राष्ट्र फिर पार्टी और उसके बाद हम.” महाकौशल मेरा राष्ट्र है. मैं सबसे पहले महाकौशल को रखता हूं, जिसकी उपेक्षा हुई है, मैं उसकी लड़ाई लड़ रहा हूं. पार्टी धर्म के मुताबिक पहले राष्ट्र, फिर पार्टी और आखिरी में मैं स्वयं.
जबलपुर के पाटन असेंबली सीट से भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने कहा कि महाकौशल मेरा धर्म है इसलिए इसकी उपेक्षा मैं नहीं सहूंगा. उन्होंने शिवराज सरकार को चेतावनी देने के अंदाज के में कहा कि यदि मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया तो विंध्य की तरह महाकौशल के लिए भी आवाज बुलंद होगी. आपको बता दें की महाकौशल के नेता अजय विश्नोई का मंडला जिले के नैनपुर में आना हुआ था. वह यहां पायली निवासी दिवंगत किसान नेता कुलेंद्र तिवारी के परिजनों से मिले. इस दौरान अजय विश्नोई ने आपातकाल के दौरान मीसाबंदी रहे नंदलाल खन्त्री से उनके निवास पर मुलाकात की.
यह पहला मौका नहीं है जब अजय विश्नोई ने बागी तेवर दिखाए हैं. शिवराज सरकार के मंत्रीमंडल विस्तार के तुरंत बाद ही उन्होंने अप्रसन्नता जाहिर करते हुए ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था, ”मध्य प्रदेश में सरकार का पूर्ण विस्तार हो गया है. ग्वालियर, चंबल, भोपाल, मालवा क्षेत्र का हर दूसरा भाजपा विधायक मंत्री है. सागर, शहडोल संभाग का हर तीसरा भाजपा विधायक मंत्री है. महाकौशल के 13 भाजपा विधायकों में एक व रीवा संभाग के 18 भाजपा विधायकों में एक को राज्य मंत्री बनने का सौभाग्य मिला है. महाकौशल और विंध्य अब फड़फड़ा सकते हैं उड़ नहीं सकते. अब महाकौशल व विंध्य को खुश रहना होगा, खुशामद करते रहना होगा.”
अजय विश्नोई ने एक अन्य ट्वीट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की थी कि वह जबलपुर व रीवा संभाग के प्रभारी मंत्री खुद बनें. उन्होंने ट्वीट में लिखा था, ”शिवराज सिंह चौहान जी, प्रदेश के सभी जिलों में अनेकों समस्याएं सरल समाधान के लिए प्रभारी मंत्री की बाट जोह रही हैं. अनुरोध है, चौथी बार मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर प्रदेश को यह उपहार देने की कृपा करें. वायदे के अनुसार जबलपुर एवं रीवा का प्रभार स्वयं ग्रहण करें.”