पीएम मोदी के मुरैना दौरे से पहले जयराम रमेश ने उनसे किए ये सवाल, जनता से विश्वासघात का आरोप…
भोपाल : आज प्रधानमंत्री मोदी मुरैना आ रहे हैं। वे यहाँ सभा को संबोधित करेंगे। उनके इस दौरे से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने उनसे कुछ सवाल किए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर उन्होंने पीएम से सवाल करने के साथ ही कई आरोप भी जड़े हैं।
जयराम रमेश ने किए ये सवाल
जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा है कि “आज मध्य प्रदेश के मुरैना जा रहे प्रधानमंत्री से हमारे सवाल। 1. मुरैना में सेना भर्ती को लेकर भाजपा के बड़े-बड़े वादों का क्या हुआ? 2. मध्य प्रदेश के गांवों में अभी भी पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव क्यों है? 3. मुरैना के लोग अवैध बिजली प्राप्त करने के लिए क्यों विवश हो रहे हैं?”
“जुमलों का विवरण: 1. जब तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2018 में मुरैना का दौरा किया, तो उन्होंने वादा किया था कि एक या दो साल के भीतर वहां एक सैनिक स्कूल स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहानियां सुनाईं कि कैसे, जब भी वह देश भर की सीमा चौकियों पर जाती हैं, तो उन्हें भिंड-मुरैना के सबसे अधिक सैनिक वहां तैनात मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूल से मुरैना के शिक्षित युवा सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा कर सकेंगे। उसी कार्यक्रम में तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि वे भिंड-मुरैना क्षेत्र में सेना का स्थानीय भर्ती कार्यालय स्थापित करेंगे। छह साल बाद, इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ है। इसके बजाय, अग्निपथ के माध्यम से, मोदी सरकार ने सशस्त्र बलों की पवित्रता और भिंड-मुरैना के हज़ारों महत्वाकांक्षी युवाओं के भविष्य को बर्बाद कर दिया है। निर्मला सीतारमण के जोशीले वादों का क्या हुआ? उनलोगों ने मध्य प्रदेश के युवाओं के साथ विश्वासघात क्यों किया है?
2. मोदी सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) ने मध्य प्रदेश के ग्रामीण हिस्सों, विशेष रूप से आदिवासी बस्तियों में नाकाम रहा है। 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 4.5 लाख शौचालय गायब पाए गए, और बजट से 540 करोड़ रुपए सरकारी अधिकारियों द्वारा निकाल लिए गए थे। जबकि जल और स्वच्छता विभाग का दावा है कि जिन 99.6% घरों में शौचालय की सुविधा थी, उनके पास बहते पानी की भी सुविधा थी, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त बिलकुल अलग तस्वीर पेश करती है। शौचालय बिना सेप्टिक गड्ढों के बनाए गए हैं, और कई गांवों में पानी की कमी शौचालय के नियमित उपयोग में एक बड़ी बाधा रही है। पानी की उपलब्धता में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए, शिवपुरी में, लगभग 500 गांव ऐसे हैं जो फरवरी तक ही अपने वर्ष की 50% जल आपूर्ति समाप्त कर देते हैं। क्या स्वच्छ भारत और हर घर जल के बड़े-बड़े वादे भी सिर्फ जुमले थे?
3. मुरैना जिले को देश का एकमात्र ऐसा जिला होने का नकारात्मक गौरव प्राप्त है जहां विशेष प्रकार के बिजली के तारों और बिजली के हीटरों पर धारा 144 लागू की गई है। कलेक्टर कार्यालय को यह कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि बेरोज़गारी और महंगाई से झूझतें लोग इन तारों और हीटर के हिस्सों से अवैध बिजली प्राप्त करने के लिए मजबूर हैं। मुरैना को हर माह 110 करोड़ रुपए की बिजली सप्लाई की जाती है, लेकिन बिजली कंपनी को सिर्फ 38 करोड़ रुपए का ही भुगतान होता है। इसमें भी 28 करोड़ रुपया उद्योगों से प्राप्त होता है, यानी मुरैना में 85 फीसदी से अधिक बिजली अवैध रूप से प्राप्त करने को मजबूर है। ज़िले में अधिकांश लोगों के पास अस्थायी कनेक्शन पर भरोसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जो तरह-तरह की बिजली की समस्याओं और ट्रांसफार्मर विस्फोट के लिए भी जिम्मेदार हैं। अब लगभग दो दशकों तक सत्ता में रहने के बाद, भाजपा मुरैना के लोगों को वैध बिजली कनेक्शन प्रदान करने में असमर्थ क्यों है?” इस तरह उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल करने के साथ कई तरह के आरोप भी लगाए हैं।