Religious

कहीं आप मंत्र का जाप गलत विधि से तो नहीं कर रहे?

मंत्रों का जाप करना मन को शांति प्रदान करता है और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है. लेकिन जब आप सब ठीक कर रहे हो और करने की विधि गलत हो तो आपको इसका लाभ नहीं मिलता है बल्कि इसका दुष्प्रभाव पड़ता है. कैसे करना चाहिये जाप आइये आपको बताते हैं.

मंत्र जप के लिए बैठने का आसन

मंत्र को सिद्ध करने के लिए और उसका पूर्ण लाभ उठाने के लिए सबसे पहले सही आसन का चुनाव करे. हमारे ऋषि मुनि सिद्धासन का प्रयोग किया करते थे. इसके अलावा पद्मासन , सुखासन , वीरासन या वज्रासन भी काम में लिया जा सकता है.

समय का चुनाव

 मंत्र साधना के लिए आप सही समय चुने.  जब आप आलस्य से दूर और वातावरण शांत हो. इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त अर्थात् सूर्योदय से पूर्व का समय उपयुक्त है. संध्या के समय पूजा आरती के बाद भी जप का समय सही माना गया है. मौन मानसिक जप या मन्त्रलेखन किसी भी वक्त किया जा सकता है. जरूरत पड़ने पर दोपहर के वक्त भी जप किया जा सकता है.

देवावाहन

जल से जप के पूर्व पवित्रीकरण, आचमन, शिखा बन्धन, प्राणायाम और न्यास अवश्य करें. ततपश्चात पृथिवी पूजन. उसके बाद गुरु गायत्री का आह्वाहन करें.

दीपक प्रज्ववलन और कलश स्थापना

जप से पूर्व दीपक जला लें और एक लोटे जल में मिश्री के एक दो दाने डालकर रख दें. जप के बाद शांतिपाठ मंन्त्र में उस लोटे से जल लेकर स्वयं के ऊपर छिड़क लें. फ़िर जल को सूर्य को तुलसी के गमले में अर्पित कर दें.

यदि अकेले हॉस्टल में रहते हो और दीपक घी का जलाने में असुविधा है तो अगरबत्ती जला लो. अगर कुछ भी संभव नहीं तो एक ग्लास या लोटे जल को समक्ष  रख के आह्वाहन करके जप कर लो.

एकाग्रचित ध्यान

मंत्र जप करते समय आपका ध्यान और मन एकाग्रचित होना चाहिए. आपको बिल्कुल भी बाहरी दुनिया में ध्यान नही देना चाहिए. मन दूसरी बातो में ना लगे. जिस देवता का आप मंत्र उच्चारण कर रहे है बस उन्हें रूप का ध्यान करते रहे.

मंत्र जाप दिशा

ध्यान रखे मंत्र का जाप करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए.

माला और आसन नमन

जिस आसन पर आप बैठे हो और जिस माला से जाप करने वाले हो , उन दोनों को मस्तिष्क से लगाकर  नमन करे.

माला का चयन

आप जिस देवता के मंत्र का जाप कर रहे है , उनके लिए बताई गयी उस विशेष माला से ही मंत्र जाप करे. शिवजी के लिए रुद्राक्ष की माला तो माँ दुर्गा के रक्त चंदन की माला बताई गयी है. गायत्री मंत्र सद्बुद्धि का मंन्त्र है इसके लिए तुलसी की माला सर्वोत्तम है. रुद्राक्ष की माला से भी गायत्री मंत्र जपा जा सकता है.

आसन में बैठने हेतु बिछाने वाले आसन का चयन

जप व पूजन के लिए कुस का आसन सर्वोत्तम है. गृहस्थों के लिए श्वेत या पीला या लाल रंग का कम्बल या शॉल या ऊनी वस्त्र का आसन सर्वोत्तम है.

माला छिपाकर करे जाप

 मंत्र उच्चारण करते समय माला को कपडे की थैली में रखे. माला जाप करते समय कभी ना देखे की कितनी मोती शेष बचे है. इससे अपूर्ण फल मिलता है.

मंत्रो का सही उच्चारण

 ध्यान रखे की जैसा गायत्री मंत्र बताया गया है वो ही उच्चारण आप करे. गायत्री मंत्र उच्चारण में गलती ना करे.

उपांशु जप

होठ हिले और हल्की फुसफुसाहट सी हो लेकिन बगल में बैठा व्यक्ति भी मंन्त्र न सुन सकें ऐसे जपना है, जिससे मुख का अग्निचक्र एक्टिवेट हो जाये.

माला को फेरते समय

माला को फेरते समय दांये हाथ के अंगूठे और मध्यमा अंगुली का प्रयोग करे. माला पूर्ण होने पर सुमेरु को पार नही करे. माला पूरी होने पर माला को प्रणाम करके माथे पर लगाएं. फ़िर जप पुनः प्रारम्भ करें.

एक ही समय

मंत्र जाप जिस समय पर आप कर रहे है अगले दिन उसी समय पर जाप करे.