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सुप्रीम कोर्ट में भोजशाला विवाद पर एक और नई याचिका, सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मांगी आगे की कार्रवाई की अनुमति…

भोपाल : मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला परिसर को लेकर चल रहे विवाद में एक नया मोड़ सामने आया है। दरअसल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर से की गई विस्तृत जांच के बाद, “हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस” नामक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की है। जानकारी के अनुसार इस याचिका में ASI की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की अनुमति मांगी गई है। वहीं याचिका में बताया गया है कि ASI की जांच में मूर्तियों समेत हिंदू धर्म से जुड़े लगभग 1700 प्रतीक मिले हैं।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ASI सर्वेक्षण का दिया था आदेश

दरअसल 11 मार्च 2024 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ASI सर्वेक्षण का आदेश दिया था। इस आदेश को चुनौती मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने दी थी, जो इस स्थल को कमाल मौला मस्जिद मानती है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार किया था, लेकिन यह स्पष्ट किया था कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कोई भी कार्रवाई उसकी अनुमति के बिना नहीं की जाएगी। इसके बाद, ASI ने 98 दिनों की जांच पूरी कर 2047 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को सौंपी।

एएसआई की विस्तृत रिपोर्ट

जानकारी के अनुसार हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका में बड़ी बात कही गई है। दरअसल याचिका में कहा गया है कि ASI की जांच में मूर्तियों समेत हिंदू धर्म से जुड़े लगभग 1700 प्रतीक मिले हैं। ASI की रिपोर्ट में इन प्रतीकों और मूर्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जो इस विवाद को हल करने में महत्वपूर्ण हो सकती है। ASI ने अपने सर्वे के दौरान अनेक पुरातात्विक साक्ष्य और धार्मिक प्रतीक एकत्र किए हैं, जो इस स्थल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को उजागर करते हैं।

दरअसल हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका में कहा गया है कि मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने सर्वे पर रोक की मांग की थी। अब जब ASI ने सर्वे का काम पूरा कर लिया है और अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी है, तो उस मांग का कोई औचित्य नहीं रह जाता। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से 1 अप्रैल 2024 को लगाई गई अंतरिम रोक को हटाने की मांग की है, ताकि आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा सके। याचिकाकर्ता का तर्क है कि अब जब सर्वे का काम पूरा हो गया है, तो रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।