सागर में एक और किसान कर्ज से परेशान हो फांसी के फंदे पर झूला, फसल खराब हुई तो हिम्मत हार गया
सागर/रहली। कर्ज और आर्थिक तंगी के चलते जिले के एक और किसान ने आत्महत्या कर ली। मंगलवार को रहली के दुरकांची गांव का किसान खेत के पास पेड़ पर फांसी के फंदे पर लटका मिला। उसने दो बेटियों की शादी जमीन बेचकर की थी। तीसरी बेटी की शादी के लिए 65 हजार रुपए का कर्ज लिया था। उसे अपनी 2 और बेटी की शादी की चिंता सता रही थी।
वह बार-बार कहता था बेटियों के हाथ कैसे पीले करा पाऊंगा। उस पर सोयाबीन की फसल खराब हो गई। जिससे उसने जान दे दी। जिले में 9 दिन में चौथे किसान ने फसल खराब होने और कर्ज के चलते आत्महत्या की है।
मंगलवार सुबह 50 वर्षीय सुदामा पिता विष्णुप्रसाद कुर्मी की लाश उसके खेत में पेड़ पर फांसी के फंदे पर लटकी पाई गई। जानकारी मिलते ही परिजन पहुंचे। पुलिस ने शव काे पाेस्टमार्टम के लिए भेजा। उसे साइटिका की बीमारी भी थी। रहली थाना प्रभारी रोहित मिश्रा ने बताया कि इस मामले में जांच चल रही है।
दो और बेटियों की शादी भी करना थी
मृतक के भाई सीताराम कुर्मी ने बताया कि सुदामा की पांच बेटियां हैं। दो बेटियों की शादी उसने अपने हिस्से की जमीन बेचकर की थी। तीसरी बेटी की शादी के लिए पिछले साल कुछ लोगों से कर्ज लिया था। फसल खराब होने के कारण वे कर्ज नहीं चुका पाए। उसे अपनी दो और बेटियों की शादी करना थी। जिसमें से एक बेटी की शादी की तैयारी में था। वह कहता था कि कर्जदार परेशान कर रहे हैं। बेटियों की शादी कैसे कर पाऊंगा।
बाबूपुरा, कुमेरिया और नीमघाटी में भी आत्महत्या
12 अक्टूबर को गढ़ाकोटा थाना क्षेत्र के बाबूपुरा गांव के किसान 61 वर्षीय भोला पिता मानीसंग लोधी कर्ज के चलते खेत में लगे पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। किसान की सोयाबीन की फसल कम निकली थी तथा उस पर 2 लाख रुपए का कर्ज था।
15 अक्टूबर को गौरझामर थाना क्षेत्र के नीम घाटी के जंगल में 50 वर्षीय लोकमन पिता कड़ोरी विश्वकर्मा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उस पर भी कर्ज था।
16 अक्टूबर को गढ़ाकोटा के कुमेरिया निवासी 35 वर्षीय जगदीश कुर्मी का शव नयाखेड़ा चनौआ तालाब के पास जंगल में पेड़ से फांसी के फंदे पर लटका मिला था। किसान दस दिन से लापता था। कर्ज के कारण वह मानसिक तनाव में था।
किसान की आत्महत्या का मामला गंभीर है, जांच कराएंगे
रहली में कर्ज के चलते किसान की आत्महत्या करने का मामला मेरे संज्ञान मंउ आया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की जा रही है। इस मामले की जांच कराई जाएगी।
-मुकेश शुक्ला, संभाग आयुक्त, सागर
92 हजार किसान कर्जदार, इन्हें भरोसा दिलाइए कि आप साथ हैं
सागर जिले में एक लाख 66 हजार किसान हैं, इनमें से 92 हजार किसान अब भी कर्ज में डूबे हैं। इस बार सोयाबीन की फसल खराब होने से उन्हें कहीं से भी यह उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है कि वे ये कर्ज चुका पाएंगे। यहीं वजह है कि वे जिस खेत के पेड़ के नीचे बैठकर अपनी थकान मिटाते रहे, वहां बैठकर प्याज-रोटी खाते रहे, अब उसी पेड़ पर फंदा लगाकर मौत को गले लगा रहे हैं।
सागर जिले में आठ दिन में चार किसानों ने ऐसा ही किया। आश्चर्य की बात है कि उनके आंसू पोछने कोई नहीं आया। नेता चुनाव में अपने प्रत्याशी को जिताने में लगे हैं तो अफसर चुनाव कराने में…। चुनाव कीजिए, यह भी जरूरी है लेकिन कम से कम उन किसानों का यह भरोसा तो मत टूटने दीजिए कि शासन-प्रशासन उनके साथ है।
हम आत्महत्या का समर्थन नहीं करते लेकिन किसानों की आत्महत्या के बाद जिम्मेदार अफसर जिस फुर्ती से जांच करते हैं और यह साबित कर देते हैं कि आत्महत्या की वजह सिर्फ कर्जदार होना नहीं रही यह उस परिवार पर एक और कुठाराघात हो जाता है, इसलिए अपनी जिम्मेदारी समझिए… सरकारी दफ्तरों, बैंकों की चौखट पर खड़े उस अन्नदाता का हाथ थाम लीजिए। आज उनका बुरा वक्त है लेकिन यह हमेशा नहीं रहेगा, क्योंकि उनके पास धरती मां है।