खराब गेहूं-चावल के बाद अब खराब चने की हो रही थी सप्लाई
बैतूल: मध्य प्रदेश में अधिकारी व दलाल तरह तरह से आपदा में अवसर तलाश रहे हैं. अभी तक घटिया चावल और घटिया गेहूं के मामले सामने आए थे लेकिन अब रतलाम जिले से 100 टन फफूंद लगा चना छत्तीसगढ़ में भेजने का मामला सामने आया है. फिलहाल अधिकारियों ने जांच में खराब क्वालिटी वाले चने को उसी गोदाम को वापस भेज दिया है. इस मामले में मध्य प्रदेश लॉजिस्टिक वेयर हाउस कारपोरेशन की लापरवाही सामने आ रही है.
दरअसल, शुक्रवार को फफूंद लगा चना 4 ट्रकों में भरकर छत्तीसगढ़ राज्य को भेजा रहा था. जहां से इसे पीडीएस (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) के माध्यम से गरीबों में बांटा जाता. लेकिन इसके फफूंद लगे और गुणवत्ता हीन होने की शिकायत के बाद जांच टीम ने इसे वापस भेज दिया.
रतलाम वेयर हाउस कार्पोरेशन के प्रबंधक वासुदेव दबंड़े ने बताया कि चना चिचोली से निकला था. इसके गुणवत्ता को लेकर ठेकेदार ने शिकायत की थी, जिसके बाद चने का सैंपल लिया गया था. जांच में चना मानकों पर खरा नहीं उतरा. अब इसे नाफेड को सौंपा जाएगा. इसकी पूरी जांच की जा रही है. गड़बड़ी पाए जाने पर वेयर हाउस के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
ट्रक ड्राइवर धाकड़ ने बताया कि चना वह रायपुर ले जा रहे थे. इसी दौरान जब चने के वजन को लेकर संदेह हुआ तो हम कांटा कराने के लिए रुक गए. कांटा कराने के दौरान जब चने को खोलकर देखा गया तो कुछ दाने खराब मिले. जब अन्य बोरियों को खोल कर देखा गया तो उसके भी चने खराब थे. चने की कीमत 50 लाख रुपए तक बताई जा रही है.
2018 में नाफेड ने खरीदा था चना
बताया जा रहा है कि वर्ष 2018 में नाफेड ने रतलाम जिले के चिचोली सहित कई जगहों से समर्थन मूल्य पर चने की खरीदी की थी. जिसे सरकारी और प्राइवेट वेयर हाउसों में रखवाया गया था. कोरोना काल में केंद्र सरकार के गरीबों को चने बांटे जाने के आदेश पर इसे छत्तीसगढ़ राज्य को देने के लिए कहा गया था. जिसका ठेका रायपुर की अनाज कंपनी भारत दाल इंडस्टीज रायपुर छत्तीसगढ़ को सौंपा गया है.