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आखिर क्यों नरक चतुर्दशी का व्रत करना चाहिये ?

कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस की खरीदारी और पूजा के साथ दीपावली का महापर्व शुरू हो गया. दिनांक 3 नवंबर चतुर्दशी तिथि को छोटी दीपावली, रूप चौदस और नरक चौदस भी कहा जाता है. ज्यादातर लोग इस दिन के महत्व को नहीं जानते परंतु शास्त्रों के अनुसार जीवन में आने वाली कष्टकारी यातनाओं से मुक्ति के लिए चतुर्दशी तिथि पर व्रत रखना चाहिए. आरोग्य की प्राप्ति के लिए उबटन से स्नान करना चाहिए.

साढ़ेसाती शनि सहित समस्त पीड़ाओं से मुक्ति का उपाय होता है

ज्योतिषाचार्य सतीश के अनुसार शास्त्रों के अनुसार यदि जन्म कुंडली में कोई ग्रह पीड़ा दे रहा है तो रूप चौदस उसे दूर करने का दिन भी है. साथ ही खराब ग्रह महादशा, अंतर्दशा, चल रही हो या शनि की साढ़ेसाती शनि का ढैया हो तो व्यक्ति परेशानी व चिंता से घिरा रहता है. रूप चतुर्दशी पर वैदिक उबटन से स्नान कर पीड़ित ग्रहों से ही नहीं बल्कि सभी ग्रहों का शुभ प्रभाव व्यक्ति को मिलने लगता है.

नरक चतुर्दशी पर स्नान एवं पूजन कैसे करें

हर व्यक्ति को इस दिन प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर तेल, बेसन, गुलाब जल से उबटन करके अच्छी तरह से स्नान करना चाहिए. स्नान करके यमराज को 3 अंजलि जल अर्पित करें. शाम को शुभ मुहूर्त में 14 छोटे दीपक जलाकर चौक सजा कर रोली, खील ,गुड़ , धूप ,अबीर, गुलाल आदि से पूजन करना चाहिए. साथ ही एक बड़ा चौमुखा दीपक घर के द्वार पर और छोटे घर के अंदर रखकर समृद्धि की कामना करना चाहिए.

नरक चतुर्दशी, रूप चौदस, छोटी दीवाली पूजा का मुहूर्त

नरक चौदस के दिन प्रदोष काल गोधूलि बेला में शाम 5:30 से 6:12 तक दीपदान किया जा सकता है.

नरक चतुर्दशी की कहानी

भगवान वामन ने पृथ्वी एवं राजा बलि के शरीर को 3 पगों में इसी दिन नाप लिया था. आज के दिन भगवान श्री कृष्ण की धर्मपत्नी सत्यभामा ने नरकासुर राक्षस का वध किया था. इस व्रत को करने से नरक की प्राप्ति नहीं होती.