भोपाल की वो वीरांगना जिसने झुकने के आगे जान देना चुना, आइये जानते हैं
एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं के साथ हाल ही में बनकर तैयार हुआ मध्य प्रदेश का वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन हबीबगंज भोपाल की अंतिम गोंड शासक रानी कमलापति के नाम से जाना जा रहा है।
रानी कमलापति निजाम शाह की विधवा थीं, जिनके गोंड वंश ने 18वीं शताब्दी में भोपाल से 55 किलोमीटर दूर तत्कालीन गिन्नौरगढ़ पर शासन किया था। निजाम शाह ने भोपाल में अपने नाम पर मशहूर सात मंजिलों वाला कमलापति पैलेस बनवाया था।
वह सीहोर में सल्कानपुर के राजा कृपाल सिंह की बेटी थीं। वह अपनी बुद्धिमत्ता और बहादुरी के लिए जानी जाती थीं। बताया जाता है कि वह घुड़सवारी में माहिर थीं। उन्हें इसके अलावा निशाना लगाना और कुश्ती करना भी आता था।
एक हुनरमंद सेनापति के नाते उन्होंने अपने पिता और अपनी महिला सेना के साथ आक्रमणकारियों से अपने साम्राज्य को बचाने के लिए जंग लड़ी थी। उन्होंने भोपाल लेक से कूदकर खुदकशी कर ली थी। साल 1723 में उनके निधन के बाद भोपाल में नवाबों का शासन आ गया था, जिसका नेतृत्व दोस्त मोहम्मद खान ने किया था।
राज्य सरकार के अनुसार, कमलापति को पति की हत्या के बाद अपने शासनकाल के दौरान हमलावरों का सामना करने में बड़ी बहादुरी दिखाने के लिए जाना जाता है। सीएम शिवराज सिंह ने दावा किया कि कमलापति “भोपाल की अंतिम हिंदू रानी” थीं, जिन्होंने जल प्रबंधन के क्षेत्र में महान काम किया और पार्क और मंदिर स्थापित किए।
चौहान ने अपने ब्लॉग में रानी के बारे में लिखा, “गोंड रानी कमलापति आज भी प्रासंगिक हैं। 300 साल हो चुके हैं और हम उनके बलिदान के लिए उन्हें सम्मानित करने में सक्षम होने के लिए आभारी हैं। भोपाल का हर हिस्सा उनकी कहानी को बयान करता है। उनके बलिदान की गूंज यहां की झील के पानी में आज भी सुनी जा सकती है।”