आखिर सुलझ गया केन-वेतवा परियोजना का सालों पुराना झगड़ा, बुंदेलखंड को मिलेगी राहत
लंबे समय से विवादित उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच विवादित चल रही केन-वेतवा परियोजना पर समझौता हो गया. आज विश्व जल दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए यह समझौता हुआ. आज पीएम मोदी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की मौजूदगी में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने इस ऐतहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए.
लंबे समय से विवादों में रहने वाली इस परियजोना की नींव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की सरकार में रखी गई थी. इसके बाद से लगातार उप्र और मप्र सरकार के बीच विवाद चलते रहे. अब जाकर लंबे समय के इंतजार के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
4500 करोड़ की लागत से बनेगी और इन जिलों को मिलेगा फायदा
आपको बता दें कि बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की भारी किल्लत देखने को मिलती है. इसी कारण इस योजना को लाया गया था. इस योजना के बाद से बुंदेलखंड के क्षेत्र में पानी की काफी सुगमता बनेगी. बुंदेलखंड का क्षेत्र मप्र और उप्र दोनों राज्यों में आता है. इस योजना की अनुमानित लागत लगभग 45000 करोड़ बताई जा रही है. इसका 90 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार वहन करेगी. इसी खर्चे को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद था. इसमें मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र शामिल है.
केन-बेतवा लिंक परियोजना देश में अन्य स्थानों पर नदी जोड़ो परियोजना को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करेगा. इस परियोजना के बाद से प्रतिवर्ष 10.62 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित हो जाएगी. साथ ही लगभग 62 लाख लोगों को पेयजल आपूर्ति और 103 मेगावाट जल विद्युत का उत्पादन भी संभव हो सकेगा. वहीं बुंदेलखंड में पानी की कमी से जूझ रहे कुछ जिले मप्र के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जिले तथा उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों में पानी की पूर्ति हो सकेगी.