प्रशासन ने रासुका लगाकर 22 दिन रखा था जेल में, अब प्रशासन को देना पड़ेगा जुर्माना
किसी व्यक्ति को जेल भेजा जाए, लेकिन वह निर्दोष हो. कोर्ट में केस चले. जिसमें वह निर्दोष साबित होकर छोड़ दिया जाए. वह तो गनीमत मानेगा कि चलो बच गए. लेकिन आपने कभी सुना है, आरोपी पर आरोप सिद्ध नहीं हुआ. उसने कोर्ट में अर्जी दाखिल की और कलेक्टर द्वारा उस शख्स को रुपए देने पड़ गए.
अगर नहीं, तो हम बता रहे हैं ग्वालियर हाईकोर्ट द्वारा लिए गए एक फैसले के बारे में जहां आरोपी पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) की कार्रवाई सिद्ध नहीं होने के बाद अब शासन पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है.
30 दिन के अंदर जमा होंगे 50 हजार
ग्वालियर हाईकोर्ट द्वारा लिए गए इस फैसले में बताया गया कि पुलिस ने युवक को बिना कारण 22 दिन तक जेल में रखा. उसी के चलते शासन पर जुर्माना लगाया. युवक के खाते में 30 दिनों के अंदर ही 50 हजार रुपए जमा कराने के निर्देश भी दिए गए हैं.
2020 में लगाई थी रासुका
जानकारी मिली है कि संदीप वाल्मीकि नामक शख्स पर कलेक्टर ने 22 नवंबर 2020 को रासुका लगाई. रासुका लगाने के 12 घंटे के अंदर कलेक्टर ने सरकार को सूचित करने के लिए कोई भी पत्र, सूचना या आदेश नहीं भेजा.
26 अप्रैल 2021 को संदीप को रासुका के तहत गिरफ्तार किया गया. 17 मई तक जेल में बंद रखने के बाद रासुका का आदेश वापस लिया गया और संदीप को जेल से रिहा भी कर दिया गया. रिहा होने के बाद संदीप ने शासन के खिलाफ याचिका दायर कर दी. जिसका फैसला अब आया है. बता दें कि इससे पहले भी हाईकोर्ट ने रासुका के दो मामलों में कलेक्टर पर 10-10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था.