एक विधान – एक निशान की विचारधारा क्या राज्य में नहीं होगी लागू
मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने एक नई योजना बना रही है. इस नई योजना के हिसाब से राज्य के संसाधनो और नौकरियों पर मध्य प्रदेश के नागरिकों का ही अधिकार होगा. लेकिन सरकार जब ऐसी योजना बना रही है तो वह भूल जाती है कि राज्य के लोग देश के अन्य राज्यों में भी जाते हैं. अगर इसी तरह का व्यवहार राज्य के नागरिकों को देश के अन्य राज्यों में किया जाए तो क्या यह गलत नहीं होगा?
इस तरह की योजना बनाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह भूल जाते हैं कि उनके बेटे ने महाराष्ट्र के पुणे से अपनी पढ़ाई की है. पुणे समेत पूरे महाराष्ट्र में हिंदी भाषी राज्यों के नागरिकों का विरोध होता रहा है. महाराष्ट्रवासियों की भी यही मांग होती है कि राज्य के तमाम संसाधनों तथा नौकरियों पर राज्यवासियों का ही हक हो. लेकिन उस वक़्त शिवराज सिंह इस बात का पुरजोर विरोध करते हैं. लेकिन क्या राज्य में इस योजना को लागू करने से यह साबित नहीं होता कि शिवराज सिंह इस फैसले से अपनी ही विचारधारा “एक विधान – एक निशान” का विरोध कर रहे हैं.
राज्य के अधिकांश लोग लोग मप्र के बाहर ही तमाम बड़े पदों नौकरी कर रहें है. जब अन्य राज्य की सरकारें इन्हीं नियमों का हवाला देकर नौकरियों से बेदखल करेंगे, तब क्या राज्य सरकार उनको रोजगार देने की स्थिति में होगी?