चंबल में बनेगा ‘डाकू म्यूजियम’
ग्वालियर: चंबल में ‘डाकू म्यूजियम’ बनाया जाएगा. इसमें बीहड़ में दशकों तक दहशत के पर्याय रहे कुख्यात डाकुओं के हथियार उठाने से लेकर मुठभेड़ में ढेर होने तक की दास्तान होगी. साथ ही लोग उनके आतंक को खत्म करने वाले चंबल के जांबाज अफसरों-जवानों की कहानी भी जान सकेंगे.
मूवी की तरह होगा प्रस्तुत
संग्रहालय में दस्यू सुंदरी फूलन देवी, एथलीट से डाकू बने पान सिंह तोमर, मोहर सिंह, मलखान सिंह जैसे डाकुओं के जीवन को विस्तार से बताया जाएगा. अभी यह ‘डाकू म्यूजियम’ भिंड पुलिस लाइन में बनाया जा रहा है. इसमें डाकुओं और पुलिस की बड़ी और खतरनाक मुठभेड़ को मूवी की तरह प्रस्तुत किया जाएगा.
म्यूजियम में डकैतों की हिस्ट्रीशीट, उनके फोटोग्राफ, गिरोह के बड़ी वारदातों के किस्से, वारदातों के बाद वहां के हालात की कहानी, डाकू गिरोहों के सदस्य, हथियारों की झांकी डिजिटल आधार पर दिखाई जाएगी. इससे यह आसानी से लोगों की समझ में आ जाएगी. इसके साथ ही पिछले 3 दशक में 40 पुलिस जवान, अफसर भी डाकुओं से लड़ते हुए शहीद हुए हैं. इनके जीवन चरित्र और जांबाजी के किस्से यहां होंगे.
रोचक किस्से बनेंगे आकर्षण का केंद्र
डाकू पान सिंह तोमर के बारे में बताया जाएगा कि कैसे एक एथलीट अपने ही रिश्तेदारों के अत्याचार और पुलिस द्वारा सुनवाई नहीं करने पर डाकू बना. इसी तरह दस्यू सुंदरी फूलन देवी की साधारण जिंदगी से डाकू फिर सांसद बनने की दास्तान रखी जाएगी. इसके अलावा मलखान सिंह, मोहर सिंह, माखन मल्लाह, मानसिंह जैसे बड़े डाकुओं के जीवन को एक रोचक कहानी की तरह समझ सकेंगे.
इस म्यूजियम में एक गैलरी जांबाज पुलिस अफसरों की रहेगी. इसमें बताया जाएगा कि चंबल में यदि डाकू पैदा हुए हैं तो जांबाज पुलिस अफसर, जवान भी पैदा हुए हैं. जिन्होंने इन डाकुओं का अंत किया था. 40 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं. इनकी स्टोरी व उस समय के फोटो संग्रहालय में रखे जाएंगे.