डबरा के किसानों ने 5 फरवरी को पलवल बॉर्डर पर जाने का किया फैसला
डबरा: कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस के जागरूकता अभियान के बाद अब मध्य प्रदेश के किसानों ने भी अपने आंदोलन को तेज करने का निर्णय किया है. ग्वालियर के डबरा में आयोजित महापंचायत में किसानों ने एलान किया है कि दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन में वे भी शामिल होंगे. किसानों ने 5 फरवरी को पलवल बॉर्डर पर जाने का फैसला किया है.मंगलवार को डबरा की कृषि उपज मंडी परिसर में भारी संख्या में किसान एकत्रित हुए थे. खास बात यह कि किसानों की इस महापंचायत में उत्तर प्रदेश और हरियाणा से भी किसान आए थे. सभी ने एक स्वर में हुंकार भरते हुए कहा कि वे कृषि कानूनों को रद्द करवा कर ही मानेंगे. उत्तर प्रदेश किसान यूनियन के अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि जो किसानों का काम करेगा, वही देश पर राज करेगा. किसानों ने कहा कि कृषि कानूनों की वजह से हमारे फसलों के दाम उद्योग घराने तय करेंगे. फसलों के असीमित भंडारण की छूट दिए जाने की वजह से महंगाई भी बढ़ जाएगी. बड़े कॉरपोरेट घराने किसानों से सस्ते दामों पर फसल खरीदकर अपने विशाल गोदामों में भर लेंगे और फिर बाद में उन्हें मनमानी कीमतों पर बेचेंगे.केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान दो महीने से भी ज्यादा समय से डटे हुए हैं. बारह दौर की वार्ताओं के बाद भी केंद्र सरकार इस मामले में किसानों की बात मानने को तैयार नहीं हुई है. सरकार किसान आंदोलन को बेअसर करने की पूरी कोशिश कर रही है. 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुए हंगामे और हिंसा के बाद किसान आंदोलन के कमज़ोर पड़ने की अटकलें लगाई गईं, लेकिन आंदोलनरत किसानों का हौसला अब तक बरकरार है.पिछले कुछ दिनों में सरकार ने किसानों के प्रदर्शन वाली जगहों को घेरने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ कंटीले तारों, दीवारों और नुकीली कीलों से ज़बरदस्त बैरिकेडिंग की है. इंटरनेट पर पाबंदी से लेकर पानी की सप्लाई रोकने और टॉयलेट की सुविधा में रुकावटें पैदा किए जाने की खबरें भी आ रही हैं. फिर भी किसान अपनी मांगों पर टिके हुए हैं. उनका कहना है कि वे केंद्र सरकार के लाए नए कृषि कानूनों को रद्द किए अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे.