नकली प्लाज्मा से दतिया कारोबारी की मौत
ग्वालियर: चर्चित नकली प्लाज्मा से दतिया कारोबारी की मौत के मामले में पुलिस की जांच पहले ही दिन से ही सवालों के घेरे में हैं. बता दें कि, घटना को 46 दिन हो गए हैं, लेकिन पुलिस अभी तक चार्जशीट फाइल नहीं कर सकी है. साथ ही, परिजन को मामले में अभी तक बयान के लिए भी नहीं बुलाया गया है.
जानिए, क्या था मामला
आपको बता दें कि, मनोज अग्रवाल नाम के युवक को कोरोना संक्रमित आने पर 3 दिसंबर को ग्वालियर के निजी अस्पताल अपोलो में भर्ती किया गया था. जो कि दतिया के इलेक्ट्रॉनिक्स कारोबारी था. यहां अस्पताल प्रबंधन के कहने पर मरीज के परिवार ने ब्लड प्लाज्मा खरीदकर अस्पताल को दिया था. प्लाज्मा कहां से लेना था, यह भी प्रबंधन से उन्हें पता लगा. प्लाज्मा चढ़ने के बाद 10 दिसंबर को मनोज की हालत बिगड़ी और मौत हो गई.
मामले में 11 दिसंबर को पोस्टमार्टम हुआ। यहीं से परिजनों ने नकली प्लाज्मा कांड का खुलासा किया. दरअसल, अस्पताल के कहने पर जिस अजय त्यागी से मनोज के परिवार ने प्लाज्मा खरीदा था, वह फ्रॉड निकला था. उसने खुद को जेएएच का कर्मचारी बताकर जेएएच ब्लड बैंक से ही ब्लड प्लाज्मा लाने की बात कही थी, लेकिन बाद में रसीदें नकली निकली थीं.
मामले में पुलिस ने 13 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की थी. इस मामले में नकली प्लाज्मा रैकेट के मास्टरमाइंड अजय शंकर त्यागी पर रासुका लगाई गई. साथ ही, 5 लोगों को जेल भेज दिया, लेकिन अपोलो अस्पताल के प्रबंधन व डॉक्टर पर एक्शन नहीं लिया गया था.