National

सीबीएसई ने पाठ्यक्रम से ‘धर्मनिरपेक्षता ‘नोटबंदी’ पाठ हटाए

नई दिल्ली। सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं में अगले साल शामिल होने वाले विद्यार्थियों को धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद, नागरिकता, नोटबंदी और लोकतांत्रिक अधिकारों के बारे में पढ़ने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि इन विषयों से संबंधित पाठों तथा कई अन्य पाठों को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। कोरोना वायरस संकट के बीच विद्यार्थियों पर पाठ्यक्रम का बोझ कम करने के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए कक्षा नौवीं से 12वीं के लिए 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम को घटाते हुए बुधवार को नया पाठ्यक्रम अधिसूचित किया। अद्यतन पाठ्यक्रम के मुताबिक, 10वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से हटाए गए पाठ वे हैं जो लोकतंत्र एवं विविधता, लिंग, जाति एवं धर्म, लोकप्रिय संघर्ष एवं आंदोलन और लोकतंत्र के लिए चुनौतियां जैसे विषय से संबंधित थे।
वहीं, 11वीं कक्षा के लिए हटाए गए हिस्सों में संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता और भारत में स्थानीय सरकारों के विकास से संबंधित पाठ शामिल हैं। इसी तरह, 12वीं कक्षा के छात्रों को भारत के अपने पड़ोसियों- पाकिस्तान, म्यामांर, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के साथ संबंध, भारत के आर्थिक विकास की बदलती प्रकृति, भारत में सामाजिक आंदोलन और नोटबंदी सहित अन्य विषय पर पाठों को नहीं पढ़ना होगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एएचआरडी) के अधिकारियों के मुताबिक पाठ्यक्रम को विद्यार्थियों का बोझ कम करने के लिए घटाया गया लेकिन मुख्य अवधारणाओं को जस का तस रखा गया है।
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “ परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम भार में अनुपातिक कमी के लिए शिक्षण संबंधी समय के नुकसान का आकलन किया गया। इस के अनुसार, बोर्ड की पाठ्यक्रम समिति ने सिलेबस घटाने पर काम शुरू किया। विभिन्न पक्षधारकों से सुझाव मांगे गए थे।”
अधिकारी ने कहा, “स्कूलों के प्रमुखों एवं शिक्षकों को बोर्ड ने सलाह दी है कि वे सुनिश्चित करें कि जिन विषयों को हटाया गया है उनकी जानकारी विद्यार्थियों को दे दी जाए। हालांकि, घटाया हुआ पाठ्यक्रम आंतरिक मूल्यांकन और वर्षांत बोर्ड परीक्षा के लिए विषयों का हिस्सा नहीं होगा।” कोविड-19 प्रकोप की रोकथाम के मद्देनजर विश्वविद्यालयों और स्कूलों को 16 मार्च से बंद रखा गया है।