ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी है संविधान की मूल प्रति
ग्वालियर। संविधान दिवस के मौके पर ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी खास आकर्षण का केंद्र रहती है। दरअसल 1950 में जब भारत का संविधान तैयार हुआ था, उस संविधान की मूल प्रति की एक कॉपी ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है। संविधान की इस प्रति में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। संविधान लागू होने के समय देशभर में कुल 16 मूल प्रतियां जारी की गई थीं, भारत सरकार ने एक मूल प्रति सिंधिया राजवंश को दी थी।
1950 में सिंधिया राजवंश को मिली ये मूल प्रति सन 1956 में महाराज बाड़ा स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी गई। लाइब्रेरी में यह प्रति 31 मार्च 1956 में लायी गयी थी। प्रबंधकों का कहना है संविधान का ये कागज बेहत उच्च गुणवत्ता वाला है जिसकी उम्र एक हजार साल तक रहेगी। हर साल स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और संविधान दिवस के मौके पर इसे लाइब्रेरी में आने वाले लोगों के देखने के लिए रखा जाता है। सामान्य तौर पर यह अलमारी में सुरक्षित रहती है। संविधान दिवस के मौके पर इसे देखने के लिए काफी लोग आते हैं। संविधान की प्रति देखने आने वाले भी इसे अनमोल मानते हैं। साथ ही उनका कहना है इससे हमें देश के गौरवशाली संविधान के बारे में जानने का मौका भी मिलता है।
संविधान की जानकारी
- संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त 1947 को ड्राफ्टिंग का गठन हुआ
- लगभग दो साल बाद 26 नवंबर 1949 को पूर्ण रूप से संविधान तैयार हुआ
- संविधान निर्माण में कुल 284 सदस्यों का सहयोग रहा.
- संसदीय समिति ने 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया.
- उस समय संविधान की 16 मूल प्रतियां बनाई गई थीं.
- संविधान की उन्हीं प्रतियों में से एक प्रति ग्वालियर की सेन्ट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है.
कोरोना ने बढ़ायी दूरी
15 अगस्त, 26 जनवरी और संविधान दिवस पर बड़ी संख्या में लोग यहां संविधान की मूल प्रति देखने पहुंचते हैं. कौतूहल में लोग इसके पन्ने पलटते हैं। लेकिन कोरोना के कारण इस बार संविधान की ये प्रति छूने की मनाही थी। सिर्फ इसे देखने की इजाज़त थी। हालांकि लाइब्रेरी प्रबंधन ने संविधान की मूल प्रति की इस कॉपी का इस बार डिजिटल एडिशन उपलब्ध था।