मध्यप्रदेश का अबतक सबसे महंगा उपचुनाव, एक सीट पर 3 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान
भोपाल। मध्य प्रदेश में 2018 के दो साल बाद ही 28 विधानसभा सीटों पर हो रहा उपचुनाव सबसे महंगा चुनाव साबित होने वाला है। उपचुनाव को लेकर तैयारियों पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे। कोरोना काल के कारण हर एक विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव 2018 के उपचुनाव की तुलना में 5 गुना तक महंगा साबित होगा। 28 सीटों के उपचुनाव को लेकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने राज्य सरकार से 40 करोड़ रुपए की मांग की है। यह राशि सरकार द्वारा चुनाव के लिए बजट में 40 करोड़ की राशि का प्रावधान करने के अतिरिक्त है।
दरअसल, उपचुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने सरकार से जो अतिरिक्त राशि की मांग की है, उससे कोरोना के बचाव और जरूरी मटेरियल की खरीद की जानी है। जानकारी के मुताबिक इस बार के उपचुनाव पर हर एक विधानसभा सीट पर करीब पौने 3 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव के लिए दिए गए बजट के अतिरिक्त राशि मांगने के पीछे कारण और काम भी गिनाए हैं। आयोग के मुताबिक मतदान केंद्रों तक कर्मचारियों को फिजिकल डिस्टेंस के साथ भेजने और इस पर परिवहन का खर्च, 1 दिन पहले पोलिंग स्टेशन को सैनेटाइज करने, हर बूथ के गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था, महिला और पुरुष मतदाता के लिए अलग-अलग प्रतीक्षा रूम बनाने, पोलिंग स्टेशन पर मतदाताओं के लिए मास्क और दस्ताने की व्यवस्था करने जैसे काम पर बड़ी राशि खर्च होगी। वहीं, पोलिंग बूथों पर पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति और पीपीई किट खरीदने और जो कर्मचारी ड्यूटी पर होंगे उनकी कोरोना जांच के लिए धनराशि की जरूरत होगी।
कांग्रेस ने कहा- दल बदलुओं से करें वसूली
इधर, मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव को लेकर हो रहे करोड़ों के खर्च पर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा है. कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि उपचुनाव दल बदलने वाले विधायकों के कारण हो रहा है। इस पर खर्च होने वाली राशि की भरपाई दल बदलने वाले नेताओं से की जाना चाहिए।