उपचुनाव में किसानों की नाराजगी से बचने इस बार 20 दिन पहले ही आ जाएगा नहरों में पानी
भिंड। जिले की दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों को लेकर हर दल श्रेय लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता। उपचुनाव के दौरान बिजली और पानी मुद्दे न जाएं इसलिए इस बार चंबल नहर में 10 अक्टूबर तक पानी मंगाने की तैयारी कर ली गई है। पिछले साल नहरों में 30 अक्टूबर को पानी छोड़ा गया था। लेकिन इस साल दीपावली से एक महीने पहले नहरों को लबालब करने का दबाव एक महीने से बनाया जा रहा था।
जिले में इस बार 218 मिमी औसत बारिश कम होने से इस बार खेतों में पलेवा की मांग बड़े पैमाने पर उठी है। किसानों का कहना है कि 15 अक्टूबर से सरसों की बोवनी के लिए खेतों को पलेवा चाहिए। नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया तो रवी सीजन की बोवनी लेट हो जाएगी और सरसों में माहू रोग पनप सकता है। किसान नाराज नहीं हों इसलिए सरकार ने चंबल नहर में 7 अक्टूबर से पानी छोड़ने की पेशकश की है। जल संसाधन विभाग के अफसरों का कहना है कि कोटा बैराज से 7 अक्टूबर को छोड़ा गया पानी 72 घंटे बाद श्योपुर में पार्वती एक्वाडक्ट पर 10 अक्टूबर तक आ पाएगा। तब जाकर भिंड जिले की नहरों से किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल पाएगा।
राहत: 750 क्यूसेक पानी प्रतिदिन छोड़ा जाएगा
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री एचएस शर्मा ने बताया कि 10 अक्टूबर से जिले की नहरों में पानी आ जाएगा । गोहद और मेहगांव विधानसभा क्षेत्र से गुजरी भिंड मेन केनाल और भांडेर मेन केनाल में पानी आ जाएगा । इसी प्रकार अटेर से निकली अंबाह ब्रांच केनाल में मुरैना से पानी आएगा, जिसके बाद किसानों को पलेवा के लिए पानी मिलना शुरू हो जाएगा।
मजबूरी: किसान ट्यूबवैल से कर रहे खेतों की सिंचाई
इस साल कम बारिश होने से खेतों की जमीन सूखी है। किसानों को पलेवा के लिए ट्यूबवैल से पानी लेना पड़ रहा है, जिससे उनकी खेती की लागत बढ़ रही है। हालत यह है कि किसानों को 250 से 300 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से पानी खरीदना पड़ रहा है। इस प्रकार से एक बीघा खेत में पानी देने के लिए किसानों को 750 से 900 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। जिससे लागत बढ़ रही है।
दावा: अभी गोहद की नहरों में चल रहा पानी
जल संसाधन विभाग के अनुसार सितंबर में गोहद क्षेत्र में सिंचाई के लिए 15 हजार 755 क्यूसेक पानी नहरों में छोड़ा गया, लेकिन यह मात्रा काफी कम है। स्थिति यह है कि गोहद फतेहपुर, छनेटा, खनेता आदि गांव के किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है। हालांकि जल संसाधन विभाग का दावा है कि गोहद क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी दिया जा रहा है । जबकि किसान मना कर रहे हैं।
बकाया: 56 करोड़ के पानी ले चुके किसान
जल संसाधन विभाग की वित्तीय व्यवस्था पर गौर करें तो बीते 15 सालों में मुरैना, श्योपुर व भिंड जिले के 2 लाख किसान 56 करोड़ रुपए के पानी का उपयोग खेतों की सिंचाई के लिए कर चुके हैं। श्योपुर से लेकर भिंड तक 2000 किमी लंबी नहर से किसान पानी तो हर साल ले रहे हैं लेकिन सिंचाई कर का पैसा नहीं दे रहे हैं। किसानों पर बड़ी रकम आपासी की बकाया है।
परेशानी: नपा को दी नहर की जमीन
इस बार रबी सीजन की फसलों के लिए तीन लाख 60 हजार 967 हेक्टेयर क्षेत्र को नहरों से पानी देने का प्लान तैयार किया है। पिछले साल 3 लाख 64 हजार 500 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी दिया गया था, लेकिन मुरैना शहर व भिंड में नहर बंद कर दिए जाने के कारण लगभग 4000 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा कम कर दी गई है। भिंड में नहर की जमीन नगर पालिका को दे दी गई है।
मांग : जिले को सूखाग्रस्त घोषित करें
विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए पत्र लिखा है। इनमें कहा गया है कि इस वर्ष जिले में औसत से काफी कम बारिश हुई है। इससे खरीफ फसल उत्पादन में कमी आई है। रबी फसलों के प्रभावित होने की स्थिति बन गई है। इस प्रकार के हालातों में पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबे अन्नदाता किसान बुरी तरह से परेशान हैं।
10 तक नहरों में आ जाएगा
ग्वालियर जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर शंभूदयाल श्रीवास्तव ने बताया कि रबी सीजन की फसलों की बोवनी से पहले खेतों का पलेवा किया जाना है। इसके लिए कोटा बैराज से 7 अक्टूबर से पानी छुड़वाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पार्वती एक्वाडक्ट पर 10 अक्टूबर तक भी पानी आ जाता है तो खेतों में 12 अक्टूबर से पलेवा शुरू हो जाएगा। इस बार 3900 क्यूसेक पानी छोड़ने का दबाव बनाया जाएगा।