अस्पताल में न नर्स है न डॉक्टर, भटक रहा मरीज, बदइंतजामी चरम पर न नर्स
जबलपुर। कोरोना संकट में जिला अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही कम नहीं हो रही है। रविवार को जहाँ अस्पताल के दूसरे नंबर के अधिकारी छुट्टी मना रहे थे तो वार्ड से नर्स व डॉक्टर नदारद थे। एक बीमार वृद्ध को लेकर परिजन पहुँचे तो उन्हें कैजुअल्टी से मुख्य आईपीडी भवन के चार नंबर वार्ड में भेजा गया। मरीज को जब वार्ड में ले जाया गया तो वहाँ डॉक्टर और नर्स कोई नहीं था।
वृद्ध को साँस लेने में तकलीफ बढ़ती जा रही थी, आधे घंटे तक परिजन परेशान होते रहे, इलाज शुरू न होने पर वार्ड के हालात का वीडियो बनाकर कलेक्टर को भेजा। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए सीएमएचओ और सिविल सर्जन को इलाज की व्यवस्था करने के लिए कहा। इसके बाद अमला हरकत में आया, अस्पताल के आरएमओ भी सूचना पर पहुँचे, लेकिन परिजन किसी भी कीमत पर वहाँ के हालात देख इलाज कराने राजी नहीं हुए और कुछ देर में ही मरीज को वापस ले गए।
सिविल सर्जन डॉ. सीबी अरोरा का कहना है कि वार्ड में जिन दो नर्सों की ड्यूटी थी वे काम पर नहीं आईं जिसके कारण यह अव्यवस्था हुई। बाद में उन्होंने दूसरे वार्ड के स्टाफ को बुलाकर वृद्ध को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। वृद्ध कोरोना निगेटिव थे, दिल की बीमारी होने के कारण उन्हें साँस लेने में तकलीफ हुई थी। कुछ देर बाद परिजन घर में ही चिकित्सा के इंतजाम होने की बात कर वृद्ध को वापस ले गए। ड्यूटी से गायब रहने वाली नर्सों के खिलाफ सोमवार को कार्यवाही की जाएगी। परिजनों ने वार्ड में ऑक्सीजन नहीं होने के भी आरोप लगाए हैं। वहीं अस्पताल के डॉ. संजय जैन ने बताया कि स्टाफ की कमी होने के कारण यह समस्या हुई है।
हर फ्लोर के लिए एक डॉक्टर
जिला अस्पताल के कैजुअल्टी से लगी दो मंजिल बिल्डिंग के वार्ड में अब कोविड मरीज रखे जा रहे हैं। यहाँ भर्ती दूसरी बीमारियों के मरीजों को दूसरे भवनों के वार्डों में शिफ्ट किया गया है। अस्पताल के तीन फिजीशियन डॉक्टर्स को एक-एक मंजिल में भर्ती मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी दी गई है। अब डॉ. आरके चौधरी, डॉ. संदीप भगत तथा डॉ. श्रीवास्तव ग्राउंड, फर्स्ट व सेकेंड फ्लोर के मरीजों का इलाज करेंगे। स्वास्थ्य विभाग ने 31 अक्टूबर तक जिले में 6 हजार एक्टिव मामले होने का अनुमान लगाया है, उसी को लेकर यह बदलाव किए जा रहे हैं। उक्त भवन में करीब 200 बेड की क्षमता है।