Corona Virus

इंदौर में कोरोना का कहर, 20 दिन में जलीं 1306 चिताएं, मुक्तिधामों में शव जलाने के लिए जगह नहीं

इंदौर। मध्यप्रदेश में मंगलवार को कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,544 नए मामले सामने आए और इसके साथ ही प्रदेश में इस महामारी की चपेट में आने वालों की कुल संख्या 1,10,711 तक पहुंच गयी।


खबर है कि इंदौर के 9 मुक्तिधामों से ही प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक शहर में 1 से लेकर 20 सितम्बर तक केवल 20 दिनों में ही 1306 चिताएं जलीं। यानि हर दिन औसतन 65 लोगों ने दम तोड़ा है। जबकि सामान्य दिनों में हर दिन मरने वालों का आंकड़ा 20 से 30 रहता था। इस भयानक परिस्थिति को झेलने वाला शहर एक साथ दो दुविधाओं से गुजर रहा है. एक ओर तो कोरोना का कहर है, वहीं दूसरी ओर कोरोना के इलाज के अभाव में लोग दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। क्योंकि कोई भी अस्पताल दूसरी बीमारियों का इलाज करने को तैयार ही नहीं है। जिसके चलते मौतों का आंकड़ा इस हद तक आ पहुंचा है।

श्मशान में भी जगह नहीं

देश के साथ ही शहर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की मौतों से लोग घबराए हुए हैं. वहीं उससे ज्यादा घबराहट वाली स्थिति ये है कि कोरोना की मौतों के साथ-साथ ज्यादा दूसरी बीमारियों के चलते इलाज के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। आलम ये है कि 20 दिनों में ही शहर में 1306 चिताएं जल चुकी हैं, वहीं शमशान में भी पहले आओ-पहले पाओ वाली स्थिति है. पश्चिम क्षेत्र स्थित पंचकुइया मुक्तिधाम पर शवों के अंतिम संस्कार का इतना दबाव पड़ने लगा है कि कई दफा तो श्मशान के कर्मचारियों को मुक्तिधाम में जगह खाली नहीं होने के कारण शवों को दूसरे मुक्तिधामों को लिए भेजना पड़ रहा है।


सितम्बर के मात्र 20 दिनों में शहर के 4 श्मशान घाटों में ही 851 चिताएं जलीं। इन मौतों के अलावा इस अवधि में कब्रिस्तान में भी सैकड़ों लोगों को दफनाया गया है।

पंचकुइया मुक्तिधाम में सबसे ज्यादा चिताएं जलीं

शहर में लोग कोरोना से होने वाली मौतों को लेकर व्यथित और घबराए हुए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इससे ज्यादा मौतें अन्य बीमारियों में इलाज के अभाव में हो रही है। पंचकुइया मुक्तिधाम पर व्यवस्थाओं की देखरेख करने वाले ने बताया कि सितम्बर में 1 से 20 तारीख तक मात्र 20 दिनों में कुल 322 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ, जिनमें मात्र 36 शव कोरोना संक्रमितों के थे। कर्मचारियों के अनुसार वैसे तो पश्चिम क्षेत्र में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में एकमात्र श्मशान घाट होने के कारण यहां प्रतिदिन 8 से 10 अंतिम संस्कार आम दिनों में होते रहते हैं, लेकिन वर्तमान में ये आंकड़ा कई बार 20 के पार भी पहुंच चुका है। कई बार मुक्तिधाम में जगह नहीं होने के चलते शवों को श्मशान से लौटाना भी पड़ा है।