BhopalMadhya Pradesh

शहरी क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर काबिज लोगों को दिए जाएंगे 99 साल के लिए स्थायी पट्टे

भोपाल। मध्य प्रदेश कैबिनेट ने प्रदेशभर में शहरी क्षेत्रों में सरकारी जमीन (नजूल की भूमि) पर काबिज लोगों को स्थायी पट्टे देने का प्रदेश कैबिनेट ने फैसला लिया। सरकार 53 साल बाद नजूल भूमि के नियम बदलने जा रही है। इसके लिए हर जिले में कलेक्टर, संभाग में कमिश्नर और राजधानी भोपाल में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएंगी।
नजूल की भूमि का पूरा ब्योरा एक क्लिक में ऑनलाइन देखा जा सकेगा। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कैबिनेट की बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि गौशालाओं के लिए 10 एकड़ तक नजूल की जमीन एक रुपए सालाना लाइसेंस फीस पर दी जाएगी। यानि ये एक तरह से मुफ्त होगी। राज्य सरकार 2020 नजूल भूमि निवर्तन निर्देश लागू करने जा रही है।


अब राजस्व भूमि का संधारण किया जाएगा
नरोत्तम मिश्रा ने की बैठक में 50 साल बाद नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमि के धारकों को भू अधिकार पत्र देकर उन्हें स्वामित्व दिया जाएगा। नजूल निवर्तन निर्देश दिया गया गया है। वर्तमान में नगरीय क्षेत्रों में नजूल भूमि, आबादी भूमि धारणा अधिकार सुनिश्चित एवं राजस्व वसूली के लिए कोई भूमि अभिलेख संधारित नहीं था। जो इसके बाद अब होगा। नगरीय क्षेत्र में शासकीय भूमि में काबिज अधि भोगियों को भूमि स्वामी प्रमाणपत्र अथवा स्थायी पट्टा किए जाने का प्रस्ताव है। विभाग द्वारा तैयार किए गए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित वरिष्ठ सचिव समिति द्वारा भी इसमें अनुशंसाएं की गई हैं।


जब हम गांव में पट्टा दे रहे हैं तो शहर में क्यों नहीं ?
गृह मंत्री ने कहा 1967 से राज्य शासन द्वारा नजूल भू खंडों के अधिपत्य अभिलेख तैयार करने और उसके प्रमाणपत्र तैयार करने के निर्देश शासन देगा। ये कार्रवाई प्रदेश के सभी नगरों में शुरू होगी। जहां पर नजूल भूमि का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, वहां पर उपलब्ध होगा। इसकी आवश्यकता क्यों है, वो इसलिए कि भू धारकों को पट्टा देने के साथ ही नजूल भूमि का अभिलेख तैयार करने और इससे राजस्व वसूली करने की जरूरत है। अब इसके बाद स्थायी पट्टा मिल सकेगा। जैसे ग्वालियर में जेसी मिल में लोग सालों से रह रहे हैं। जब हम गांवों में पट्टा दे रहे हैं और मालिक बना रहे हैं तो फिर शहर में क्यों नहीं।


जमीन कैसे दी जा सकेगी
राज्य शासन के किसी भी विभाग को हस्तांतरण द्वारा, स्थायी पट्टे पर द्वारा, स्थानीय निकाय को भू-स्वामी के हक में दी जाकर, नीलामी द्वारा भू स्वामी के हक में दी जाकर। खाली पड़ी भूमि को मेला लगाने के लिए लाइसेंस द्वारा दी जा कर। योजना बनाकर निर्माण के लिए बाजार, बस स्टैंड इत्यादि के लिए बाजार मूल्य 50 फीसदी प्रीमियम। आबादी योजना के लिए बाजार मूल्य के लिए 60 फीसदी प्रीमियम पर। मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को सक्षम प्राधिकार राज्य सरकार को होगी, लेकिन ऐसे मामले में कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होगी।


अब एनओसी के लिए नहीं भटकना होगा
नजूल के एनओसी के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा। अब ये व्यवस्था समाप्त की जा रही है। इसे फ्री कर दिया गया। नजूल की भूमि का लैंड बैंक तैयार किया ज रहा है। एक क्लिक पर पूरे नजूल की जानकारी हर कोई ले सकेगा। कमजोर वर्गों को आधे प्रीमियम पर भूमि आवंटित की जाएगी। सहकारी बैंकों के मामले में 50 फीसदी प्रीमियम पर भूमि दी जाएगी। चैरिटेबल संस्थाओं को रियायती दरों पर भूमि दी जाएगी। गौशालाओं के लिए 10 एकड़ तक की भूमि एक रुपए वार्षिक लाइसेंस फीस पर दी जाएगी मतलब गौशालाओं के लिए भूमि निशुल्क कर दी गई है। स्थायी पट्टे वित्त विभाग की सहमति से 99 साल के लिए दिए जाएंगे।