कमलनाथ सरकार के कर्जमाफ़ी फैसले पर कबूलनामे से घिरी शिवराज सरकार
कमलनाथ जब 2018 में सत्ता में आए थे, उस दौरान उन्होंने ने किसानों का कर्ज माफ किया था.
राजनैतिक पंडित बताते हैं कि मध्य प्रदेश में 15 सालों बाद कांग्रेस की वापसी का सबसे बड़ा कारण भी किसान कर्ज माफी योजना थी. कांग्रेस की तरफ से लिए गए कर्ज माफी के फैसले को चुनाव का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट माना गया था. इसलिए मुख्यमंत्री बनते ही कमलनाथ ने किसानों का कर्ज माफ किया था. कांग्रेस ने इसको सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी थी. अब कमलनाथ सरकार के इस फैसले को बीजेपी सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल ने भी माना है. उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार में कुछ किसानों की कर्जमाफी हुई थी. इसे पूरी तरह से कर्जमाफी से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है.
वहीं, कृषि मंत्री के इस बयान के सहारे कांग्रेस ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. कृषि मंत्री के इस कबूलनामे पर कांग्रेस नेता सचिन यादव ने उन्हें धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि कर्जमाफी चरणबद्ध तरीके से चल रही थी, लेकिन सरकार गिरा दी.
आइए जानते हैं कि कमलनाथ सरकार की ‘जय किसान ऋण माफी योजना’ आखिरकार थी क्या
- कमलनाथ ने शपथ के बाद ही सबसे पहले किसानों की कर्जमाफी की फ़ाइल पर साइन किए थे.
- शुरुआत में माफी योजना के अंतर्गत प्रदेश में करीब 25 लाख 49 हजार 451 लाभार्थी किसान बताए गए थे, जिनके बैंक खाते में एक मार्च 2019 तक राशि भेजी जाने का प्रस्ताव था.
- बाद में किसानो की कुल संख्या को 55 लाख बताया गया, जिनका कर्ज माफ होना था. इसमें लघु और सीमांत 35 लाख कृषकों को प्राथमिकता से ऋण माफी का लाभ मिलना था.
- किसानों को 22 फरवरी 2019 से ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र और किसान सम्मान ताम्र पत्र मुख्यमंत्री द्वारा प्रदान किए गए थे.
- दो लाख तक का लोन माफ होना था, यानी जिन किसानों ने दो लाख तक का कर्ज लिया था, उन किसानों का कर्ज माफ किया जाना था.
- वर्ष 2007 से 12 दिसम्बर 2018 तक किसानों द्वार लिए गए कर्ज को किया गया था माफ. यानी जिन किसानों ने वर्ष 2007 के पहले और 12 दिसम्बर 2018 के बाद कर्ज लिया था उनका कर्ज योजना के अंतर्गत आना था.
- पहले 31 मार्ज 2018 तक लिए गए कर्ज की होनी थी माफी. लेकिन किसान आंदोलन और विपक्ष के दबाव के चलते लिया गया था तारीख बढ़ाने का फैसला.
- केवल खेती के लिए उठाए कर्ज पर माफी मिलने का था प्रावधान, यानी जिन्होंने फसल के नाम पर कर्ज लिया था उन्हीं का कर्ज माफ करने का निर्णय लिया गया था. क्योंकि योजना किसान कर्ज माफी के लिए थी.
- फसल के अलावा लिया कर्ज का मोल नहीं था इस के अंतर्गत- जैसे ट्रैक्टर खरीदना, कुआं खुदवाना, खेती के लिए अन्य सामान खरीदना, या पूरा का पूरा खेत खरीदना, यहां तक कि गाय-बैल लेने वाला कर्ज भी माफ नहीं होना था.
- 50 हज़ार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ा था सरकार के खजाने पर. वित्त विभाग के गजट के मुताबिक मध्य प्रदेश 2018 में 1,60,871 करोड़ रुपये के कर्जे में डूबा हुआ था.
- सूची के प्रकाशन के बाद आधार कार्ड किसानों से हरे रंग के आवेदन-पत्र तथा गैर आधार कार्ड किसानों से सफेद रंग के आवेदन-पत्र ग्राम दिये जाने थे. दोनों सुची में शामिल नहीं होने वाले किसानों को गुलाबी रंग के आवेदन-पत्र भरना था.