कमलनाथ सरकार ने दी थी मंजूरी : सिंधिया सोसायटी को 100 रुपए में 146 एकड़ जमीन लीज पर दी थी
ग्वालियर : ग्वालियर में सिंधिया एजुकेशन सोसायटी को सिर्फ 100 रुपए की टोकन मनी पर 145.8 एकड़ (59.015 हेक्टेयर) जमीन 99 साल की लीज पर दे दी है. जनवरी 2020 में हुई कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद राजस्व विभाग ने यह आदेश 13 फरवरी 2020 को जारी किया. अब यह मामला सुर्खियों में आ सकता है क्योंकि 7 अगस्त को भाजपा की शिवराज सरकार ने कांग्रेस की पिछली कमलनाथ सरकार के 23 मार्च से आखिरी के छह माह की कैबिनेट के फैसलों के रिव्यू के लिए पांच मंत्रियों की कैबिनेट सब कमेटी बना दी है. इस कमेटी की दो बैठकें हो गई हैं, जिसमें अफसरों से कहा गया है कि वे सभी फैसलों के दस्तावेज कमेटी के समक्ष रखें. कमेटी में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा, खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह, राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह शामिल हैं. इससे पहले मंत्री समूह बना था, जिसमें नरोत्तम मिश्रा, तुलसी सिलावट और कमल पटेल थे. कैबिनेट कमेटी में तुलसी सिलावट की जगह गोविंद सिंह राजपूत को रखा गया है. कमल पटेल बाहर हो गए हैं.
सिंधिया एजुकेशन सोसायटी की जमीन को लेकर बताया जा रहा है कि 2013 में विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले की कैबिनेट में भी जमीन लीज पर देने का मसला आया था. तब मुख्य सचिव आर परशुराम थे. इस समय राजस्व विभाग ने इस जमीन की फाइल तैयार हुई, लेकिन कैबिनेट ने मंजूरी नहीं दी. इसके बाद 2013 से लेकर 2018 तक शिवराज सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं किया. बताया जा रहा है कि जमीन का आंकलन करीब 212 करोड़ रुपए किया गया था. दिसंबर 2018 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के बनने के कुछ समय बाद फिर यह फाइल निकली और नए सिरे से कलेक्टर गाइड लाइन को आधार बनाकर आंकलन किया गया, जिसके कारण राशि कम हो गए. जनवरी 2020 की कैबिनेट इसे नए सिरे से रखा गया, जिसे मंजूरी मिल गई. इसके आदेश भी चंद दिनों बाद 13 फरवरी को जारी हो गये.
टोकन राशि पर जमीन आवंटन शिवराज की पिछली सरकार में ही बंद हुआ
2012 से पहले मप्र में जमीन आवंटन को लेकर एक विवाद सामने आया था. तब कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन बाद में हुआ था और टोकन राशि पर जमीन पहले मिल गई. जमीन का चिन्हांकन भी पहले हुआ. इसे लेकर मामला कोर्ट तक गया. तभी शिवराज सरकार की कैबिनेट ने निर्णय लिया कि टोकन राशि पर किसी को जमीन का आवंटन नहीं होगा. बाद में कलेक्टर गाइड लाइन पर ही कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट को जमीन दी गई.
पोषण आहार में निजी कंपनियों की भागीदार के रास्ते खोलना…
कमलनाथ सरकार के आखिरी के छह माह में पोषण आहार के संचालन का जिम्मा दोबारा एमपी एग्रो को सौंप दिया. इससे पहले यह काम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से जुड़ा आजीविका मिशन कर रहा था. कैबिनेट ने फैसला लेते समय एक प्रावधान हटा दिया, इसमें लिखा था कि निजी कंपनी किसी भी रूप में पोषण आहार के काम में शामिल नहीं होगी.
बड़े ग्रुप के लिए आबकारी नीति
छोटे समूहों को कम करते हुए शराब के कारोबार में बड़े समूहों की 16 साल बाद फिर एंट्री कराई गई. आबकारी नीति बदली गई. अब शिवराज सरकार ने फिर इसमें संशोधन की तैयारी शुरू की है.
चार शर्तों पर दी लीज
1 आवंटित भूमि का उपयोग सिंधिया एजुकेशन सोसायटी द्वारा सिर्फ शैक्षणिक कार्य के लिए किया जाएगा. यह किसी व्यक्ति या संस्था को ट्रांसफर नहीं हो सकेगी.
2 आवंटित भूमि में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिपत्य की कोई भूमि शामिल नहीं होगी.
3 आवंटित भूमि के आसपास के पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के आने-जाने पर कोई रोक-टोक नहीं होगी.
4 भूमि की लीज न्यायालयीन आदेशों के अधीन रहेगी.