अपनों की जंग में उलझी भाजपा
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के बड़े और प्रभावशाली नेता भी अब हर सीट पर नहीं घूम सकेंगे, बल्कि वे सिर्फ अपने प्रभार की सीट पर ही फोकस रख पाएंगे। इस कारण कुछ बड़े ने दुविधा में है, लेकिन पार्टी इन नेताओं को ज्यादा आजादी देने के पक्ष में नहीं है। दरअसल अंचल में चुनाव ज्योतिरादित्य फैक्टर पर केंद्रित करने की कोशिश की जा रही है।
पार्टी के नए फॉर्मूले से मंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया समेत कुछ अन्य नेताओं ने चुनावी तैयारियों से दूरी बना ली है। ग्वालियर में तीन दिन से जारी राजनीतिक मंथन का निष्कर्ष देखें तो पार्टी सभी सीटें जीतने के लिए सिंधिया और शिवराज की नीति पर ही आगे बढ़ना चाहती है।
चुनाव पर लटकी अपनों की तलवार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो दिन ग्वालियर में सिंधिया समेत अन्य नेताओं से उप चुनावों को लेकर लंबी मंत्रणा की। बता दें कि कांग्रेस और भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के घालमेल से चुनाव को कैसे बचाया जाए, इस पर मंथन किया गया, क्योंकि भाजपा को डर है कि कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को कार्यकर्ता चुनाव में नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर हर सीट की परिस्थिति को लेकर विचार-विमर्श किया है।
पार्टी के नेता नाराज़ कार्यकर्त्ता परेशान
चुनावों को लेकर भाजपा संगठन के नए फॉर्मूले से पार्टी के दिग्गज नेता नाराज हैं। वे खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन सांसद, विधायक, मंत्री रहे इन नेताओं को एक सीट पर सीमित करने की कोशिश को वे अपमान की तरह देख रहे हैं। यशोधरा राजे सिंधिया, अनूप मिश्रा आदि इस नए फॉर्मूले से नाराज बताए जा रहे है। ग्वालियर में भाजपा के तीन दिन के सदस्यता कार्यक्रम में इस फॉर्मूले का असर साफ देखा गया है। बता दें कि इस कार्यक्रम में भाजपा के कद्दावर मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री अनूप समेत कई नेता नजर नहीं आए। पार्टी के भीतर चर्चा है कि अंचल में प्रभावशाली होने के बावजूद भी हदबंदी किए जाने से कई समीकरण ध्वस्त हो सकते हैं।