कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा पर किया पलटवार
- शिवराज और सिंधिया समेत भाजपा के दिग्गज नेतओं पर किया हमला
- पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा सिंधिया तो खुद अपना चुनाव हार गए थे
- मीडिया प्रभारी के. के. मिश्रा ने शिवराज, सिंधिया, विजयगर्गीय पर कसे तंज
ग्वालियर। ग्वालियर मे भाजपा के तीन दिवसीय सदस्यता अभियान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यसभा सांसद व पूर्व कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय समेत वरिष्ठ के हमलों पर कांग्रेसी नेताओं ने पलटवार किया है। भाजपा ने कांग्रेस सरकार बनने में ज्योतिरादित्य सिंधिया के योगदान को गिनाया तो पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने उसे सिरे से खारिज कर दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यहां तक तंज कसा कि सिंधिया अपना ही चुनाव हार गए तो सरकार बनने में उनका योगदान कहां हो सकता था। कमल नाथ ने रविवार को ट्वीट करते हुए यह बात कही। उन्होंने विधायक दल के नेता चयन को लेकर पार्टी की प्रक्रिया बताई और कहा कि दल के नेता का चयन विधायकों की राय व पसंद के आधार पर सर्वसम्मति से किया गया था, उसके लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन भी किया गया था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने में चुनाव पूर्व संगठन की मजबूती का भी हाथ रहा है।
कमल नाथ ने भाजपा नेताओं पर तंज कसा कि कांग्रेस की सरकार में सिंधिया का योगदान नहीं रहा लेकिन भाजपा की सरकार उन्हीं के कारण बनी है।
वहीं कांग्रेस के मीडिया प्रभारी (ग्वालियर-चंबल संभाग) के. के. मिश्रा ने एक बाद एक ट्वीट कर भाजपा के सारे दावों की हवा निकाल दी है।
एक ट्वीट में के.के. मिश्रा ने कहा, वृहन्नलाओं की फ़ौज में ग्वालियर-चम्बल अंचल के खुद्दार-मर्द इंसान आदरणीय जयभानसिंह पवैया की मर्दानगी,अदम्य साहस को सलाम,मित्रों से कह दें,”दोमुहें सांपो से बचें”।
सिंधिया के वाहवाही करने और उनके कारण भाजपा की सरकार बनने पर के. के. मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा, शिवराज जी, आप तो चापलूसी के एवरेस्ट पर चढ़ गए हैं! हद है आपकी मक्खनबाजी की! अपने ‘महाराज’ की आरती उतारने में ऐसे लग गए, जैसे ‘श्रीअंत’ भाजपा से भी बड़े हो गए! नड्डाजी, क्या आप भी चापलूससिंह चौहान की बातों से सहमत हैं? “श्रीअन्त” इन्होंने आडवाणी जी की भी ऐसी ही “बटरबाज़ी” की थी,आज?
के. के.मिश्रा ने कैलाश विजयवर्गीय पर हमला करते हुए कहा, भाजपा महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय की राजनीति की अपनी अदा है, सिंधिया से उनकी खुन्नस बहुत पुरानी है। यही कारण है कि वे मजबूरी में पार्टी के साथ भी हैं, और सिंधिया को निपटाने का मौका भी नहीं छोड़ रहे! इस खबर को क्या समझा जाए, उनका समर्थन तो कतई नहीं!