नेक काम : खंडवा के युवकों ने भटकते बुजुर्ग को परिजनों से मिलवाया
खंडवा। जिसको भिखारी समझकर लोग पैसा तो दे देते थे लेकिन उसके दिल के दर्द और उसकी तकलीफ सुनने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। ट्रेन एक्सीडेंट के छह माह लंबे इंतजार में आंखें पथरा गईं। शरीर सूख कर हड्डी का ढांचा भर रह गया था। लेकिन दो युवा फरिश्तों ने जब उसकी दर्द भरी दास्तां सुनी तो उसे बुजुर्ग को गुगल सर्च से उसके परिजनों से मिलवाया।
परिजन उन्हें लेने खंडवा आए। अचानक बेटे को देख चेहरा खिल उठा। दर्द के आंसू आंखों से बह निकले। बेटे के गले लगकर रोते हुए कहा कि हे भगवान अब मौत भी आ जाए तो कोई अफसोस नहीं रहेगा।
यह कहानी है जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में 6 माह से भर्ती कोदूराम साहू (70) निवासी छत्तीसगढ़ जिला दुर्ग ग्राम हिर्री की है। लॉकडाउन से पहले कोदूराम अपने घर से बिना बताए निकले थे।
नागपुर से अपने घर जाते समय खंडवा-नेपानगर रेलवे स्टेशन के बीच कोदूराम को किसी ने ट्रेन से धक्का दे दिया। उनका दाहिना हाथ कट गया। सिर व हाथ-पैर में चोट लगने के कारण नाम-पता बता नहीं पाए। जीआरपी ने उन्हें अस्पताल में भर्ती किया।
कोदूराम लोगों को नाम पता बताने की कोशिश करते तो लोग उन्हें भिखारी समझकर पैसा दे देते। कोई उनका दर्द नहीं सुनता था। 19 अगस्त को सिहाड़ा का अमजद खान परिचित से मिलने ट्रामा सेंटर जा रहा था। रास्ते में कोदूराम एक हाथ के सहारे कूल्हे के बल रगड़ते हुए जा रहे थे।
मजबूर व भिखारी समझकर अमजद ने पैसे देकर मदद करना चाही। कोदूराम ने अमजद से कहा मुझे पैसा नहीं चाहिए। पैसा तो मेरे पास बहुत है, मुझे मेरे घर भेज सकते हो। अमजद ने नाम, पता लेने के बाद अपने दोस्त दीपक उर्फ मुल्लू राठौर को पूरा मामला बताया। मुल्लू ने कोदूराम की अस्पताल में ही दाढ़ी-कटिंग बनवाई और नए कपड़े पहनाए। अपने वाहन से दुर्ग छत्तीसगढ़ ले जाने के लिए परिजन से बात की, लेकिन परिजन इतने खुश हुए कि वह खुद शुक्रवार को खंडवा आ गए।
गूगल मैप पर सर्च की गांव की दुकानें और नाम-पता
बुधवार शाम कोदूराम का नाम-पता लेने के बाद अमजद और मुल्लू ने दुर्ग जिला स्थित हिर्री गांव को गूगल मैप पर सर्च किया। वहां के दुकानदारों के मोबाइल नंबर सर्च कर उनसे संपर्क किया। कोदूराम का फोटो व वीडियो दुकानदारों के वाट्सएप नंबर पर भेजा।
बुधवार रात 2.30 बजे एक दुकानदार ने कहा यह तो कोदूराम साहू है। परिजन और पुलिस भी इन्हें मृत मान चुकी है। गुरुवार सुबह दुकानदार ने कोदूराम साहू के बेटे गंगाप्रसाद को इसकी जानकारी दी। इसके बाद घर में खुशी का माहौल छा गया। गंगाप्रसाद साथ गांव के पूर्व सरपंच परसराम दुबे भी साथ आए थे।
6 माह में 15 हजार रुपए जोड़े
कोदूराम भर्ती थे, लेकिन वह रोज इस उम्मीद में बाजार घूमने निकल जाते थे कि कोई तो उनकी सुनेगा, लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें भीख दे देते थे। उनके पास 15 हजार रुपए जमा हो गए।
मौत आ जाए या घरवाले
अस्पताल से विदाई के समय कोदूराम खुशी के मारे रो दिए। उन्होंने कहा सुबह-शाम दुआ करता था कि या तो मेरी मौत आ जाए या फिर मेरे घर वाले आ जाए। कोदूराम ने कहा कि खंडवा के लोग बहुत अच्छे हैं।