कांग्रेस के लिए फिर उतरी बाबाओं की टोली, कम्प्यूटर और मिर्ची बाबा ने शुरू किया अभियान
भोपाल. मध्य प्रदेश में 27 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में एकबार फिर से कांग्रेस की जीत के लिए कंप्यूटर और मिर्ची बाबा ने कमान संभाल लिया है। कंप्यूटर बाबा और मिर्ची ने लोकतंत्र बचाओ अभियान छेड़ा है।
कंप्यूटर और मिर्ची बाबा फिर चर्चा में
2019 के आम चुनाव से पहले जलते कंडों के बीच बैठकर कंप्यूटर बाबा का हठयोग सबसे ज्यादा चर्चा में रहा था। उन्होंने दिग्विजय सिंह के पक्ष में भोपाल लोकसभा क्षेत्र में प्रचार किया था। सिर्फ कंप्यूटर बाबा ही नही मिर्ची बाबा ने भी मिर्ची यज्ञ के जरिए दिग्विजय सिंह की जीत का टोटका किया था। लेकिन दोनों बाबाओं का यह टोटका काम नहीं आया. दिग्विजय सिंह बीजेपी प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से चुनाव हार गए थे।
इस बार मिर्ची यज्ञ नहीं
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के बाद बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की राम के प्रति आस्था जताने और जन्माष्टमी पर कृष्ण भक्ति के बाद बड़े वोट बैंक को साधने के लिए साधु संतों की टोली सक्रिय हो गई है। कांग्रेस के समर्थन में ग्वालियर चंबल इलाके की 16 सीटों पर दो हजार साधु-संतों प्रचार करेंगे। हालांकि मिर्ची बाबा ने कहा है कि इस बार उपचुनाव से पहले वो हवन नहीं करेंगे लेकिन दल बदलने वाले विधायकों को सबक सिखाने के लिए जनता को जागरुक ज़रूर करेंगे।
जनता के मुद्दे
बाबाओं की टोली के सक्रिय होने पर कांग्रेस नेता तोल मोल कर बोल रहे हैं। बाबाओं के प्रचार से पार्टी को होने वाले नफे नुकसान के बीच पार्टी ने उपचुनाव में जनता से जुड़े मुद्दे भी उठाएगी। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख जीतू पटवारी ने कहा प्रदेश में कोरोना महामारी से हालात बिगड़े हैं। बिजली के भारी बिल लोगों को करंट मार रहे हैं। रामपथ वन गमन के बजट को खत्म कर दिया गया है। गौशालाओं में गाय के चारे में भी कटौती कर दी है। ऐसे तमाम मुद्दों के साथ पार्टी फिर से उपचुनाव में उतरेगी।
सॉफ्ट हिंदुज्म बरकरार
प्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बड़ा वोट बैंक हिंदू आबादी का है। पिछले कुछ चुनाव से कांग्रेस लीक से हटकर अपनी अल्पसंख्यक हितैषी छवि बदलने की कोशिश में है। इसलिए पार्टी अपनी नयी रणनीति में लगातार सॉफ्ट हिंदुज्म पर चल रही है। वो चाहती है कि जनता उसके बारे में ये धारणा बदले कि वो सिर्फ तुष्टिकरण पर चलती है। यही वजह है कांग्रेस दफ्तर में राम दरबार सजाने से लेकर कमलनाथ के निवास में हनुमान चालीसा का पाठ ही नहीं किया गया, बल्कि उसका पर्याप्त प्रचार भी किया गया।