पीओके में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो की कहानी
आज कल एक विषय खूब चर्चा में है ‘डिप्रेशन.’ जिसे एक बीमारी की तरह लिया जाता है. आपने सर्जिकल स्ट्राइक का नाम जरुर सुना होगा. उरी में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत सेना की एक टुकड़ी ने पीओके में अंजाम दिया था. उस टुकड़ी को कमांड करने वाले थे मेजर माइक टैंगो. मेजर माइक टैंगो, ये वही ऑफिसर है जिसकी लीडिंग में सर्जिकल स्ट्राइक अंजाम दी गई थी और 80 कमांडोज़ में से एक भी कमांडो हताहत नहीं हुआ.
उनके साथ भी कुछ ऐसा हुआ कि वो भी डिप्रेशन वाले हालात में चले गए थे. लेकिन उन्होंने उस परिस्थिति को कैसे मात दी? कैसे वो उन हालातों से गुजरे? एक स्पेशल कमांडो को किन हालातों से गुजरना होता है? उसकी ट्रेनिंग कैसी होती है. आज हम वही जानेंगे.
मेजर माइक टैंगो, जो बचपन में विजेता फिल्म को कम से कम दस बार चुके थे. बचपन से ही उनका मन आर्मी में शामिल होने का बन चुका था. वो दो बार NDA के एग्जाम में फेल हो गए लेकिन उन्होंने हार न मानी.
उन्होंने अपनी जी तोड़ मेहनत जारी रखी और तीसरी बार में पास हो गए. ट्रेनिंग के वक़्त उनके सीनियर उन्हें कश्मीर में होते ऑपरेशन्स के किस्से सुनाया करते थे. माइक ने तभी तय कर लिया वो स्पेशल फाॅर्स में ऑफिसर बनेंगे.
इसके बाद उन्होंने IMA ज्वाइन की और 2004 में उन्हें स्पेशल फाॅर्स की ट्रेनिंग के लिए चुना गया. स्पेशल फाॅर्स में जो भी जाता है वो शरीर से लोहा तो बन ही चुका होता है, पर पैरा ऑफिसर स्पेशल इसलिए होते हैं कि वो दिमाग से भी मजबूत बनाये जाते हैं.
छः महीने के प्रोबेशन ट्रेनिग पीरियड के दौरान माइक को रात-रात भर गटर में बैठा दिया जाता था. सड़ते हुए जानवर कटवाए जाते थे. एक दफा तो रात दो बजे उठा दिया गया, कहा “बेनज़ीर भुट्टो पर 1000 शब्दों का निबंध लिखो. विषय दिया गया कि कैसे उसकी माहवारी के कारण पश्चिम बंगाल में मानसून आ गया” ये सिर्फ लिखना ही नहीं था, सारे ऑफिसर्स को इस निबंध से सहमत भी करवाना था. हर ऑफिसर निकलते हुए उनकी बेज्ज़ती करता रहता था. हर कोई बिना किसी कारण के उन्हें ज़लील करता था. इसके बावजूद माइक ने 6 महीने की ट्रेनिंग 4 महीनों में पूरी कर ली.
माइक को एक ऐसे मिशन पर कश्मीर भेजा गया जो पहले से तय था कि ये मिशन फेल होना है. मिशन से लौटने के बाद माइक के कमांडर ने बहुत बुरी तरह लताड़ा और उसे स्पेशल फ़ोर्स के लिए मिसफिट करार दे दिया. उन्हें स्पेशल फोर्स से निकालकर नॉर्मल इन्फेंट्री में भर्ती करने का ऑर्डर आया. वो सामान पैक करने लगा तो आँखें भर आईं. इतनी मेहनत की और सब बर्बाद हो गया. उसी दौरान एक वेटर आया और बताया कि CO साहब ने बुलाया है. माइक वहां पहुंचे तो CO ने उन्हें 50 पुशप्स मारने के लिए कहा. माइक भला कैसे इनकार करता, माइक ने जब पुशअप पूरी की तो देखा उसके CO के हाथ में मेहरून कैप थी जो ख़ास स्पेशल फाॅर्स ऑफिसर्स के लिए होती है. माइक की ख़ुशी का ठिकाना न रहा. असल में माइक उन सारे ऑफिसर्स में बेस्ट था पर CO उसकी बर्दाश्त करने की शक्ति को तोलना चाह रहे थे.
माइक बताते हैं कि “जब मुझे पता लगा कि मुझे मेरे CO ने नार्मल फोर्स में जाने का आदेश दिया है, तो मैं अंदर से टूट गया था. अगर इसे आम भाषा में कहूं तो मैं डिप्रेशन की हालत में था. समझ नहीं आ रहा था कि इतनी मेहनत के बाद मैंने यह सब कमाया था, जोकि एक पल में सब बर्बाद हो रहा है. लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. मुझे मेरी मेहनत और काबिलियत पर भरोसा था. अगर मैंने उस वक़्त हिम्मत हारकर कोई गलत कदम उठा लेता तो आज इस मुकाम पर न होता.”