78 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव पर सियासत, कमलनाथ ने कहा- मुख्यमंत्री हेडलाइन मैनेजमेंट, इवेंटबाज़ी छोड़कर क़ानून व्यवस्था पर ध्यान दें…
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की इंग्लैंड और जर्मनी की यात्रा से मध्य प्रदेश को मिले 78 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव से सरकार खुश है, सीएम सहित प्रदेश सरकार इन प्रस्तावों को प्रदेश के भविष्य के लिहाज से बेहतर बता रही है लेकिन कांग्रेस इस पर भरोसा नहीं कर रही, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे लेकर तंज कसा है और मुख्यमंत्री की एक सलाह दी है।मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव हाल ही में इंग्लैड और जर्मनी टूर से लौटे हैं, उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की इंग्लैंड से 60 हजार करोड़ रुपये के और जर्मनी से 18 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव मिले हैं, इससे मध्य प्रदेश में ना सिर्फ औद्योगिक विकास को गति मिलेगी बल्कि युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे, वे फरवरी में भोपाल में आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के लिए निवेशकों को आमत्रित करने गए थे, सीएम ने उम्मीद जताई है कि इस समिट में प्रदेश को कई हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव जरुर मिलेंगे।
निवेश प्रस्तावों के दावों पर कांग्रेस को नहीं भरोसा
प्रदेश को मिले निवेश प्रस्तावों पर कांग्रेस भरोसा नहं कर रही है और इसपर तंज कस रही है, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने X पर इसे लेकर एक पोस्ट लिखी है, उन्होंने लिखा- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव बार-बार प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने का दावा कर रहे हैं। इससे पहले भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री भी 17 वर्ष तक इसी तरह के दावे करते रहे। इन दावों की हक़ीक़त प्रदेश की जनता के सामने है।
यह समझना होगा कि निवेश भरोसे से आता है
मुख्यमंत्री को सबसे पहले यह समझना होगा कि निवेश भरोसे से आता है। लेकिन प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की जो हालत है, जिस तरह से महिलाएँ, दलित, आदिवासी अत्याचार का शिकार हैं, किसान परेशान है और नौजवान रोज़गार के लिए दर-दर भटक रहे हैं, वैसे हालात में भरोसा स्थापित नहीं हो सकता।
कमलनाथ ने सीएम डॉ मोहन यादव को दी ये सलाह
दूसरी तरफ़ प्रदेश में ‘पैसा दो काम लो’ का सिद्धांत भाजपा ने लागू कर रखा है। इन हालात में निवेश की घोषणा तो की जा सकती है लेकिन वास्तविक निवेश जोकि प्रदेश में रोज़गार को बढ़ाने वाला हो ,उसे लाना मुश्किल है। इसलिए मुख्यमंत्री को मेरी सलाह है कि हेडलाइन मैनेजमेंट और इवेंटबाज़ी छोड़कर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर ध्यान दें, जिससे जनता और निवेशक दोनों का भरोसा प्रदेश के ऊपर बने और प्रदेश में तरक़्क़ी और ख़ुशहाली आए।