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‘विरोध करना सभी का अधिकार’ कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी से जुड़े विवाद पर रज़ा मुराद ने कहा…

नई दिल्ली : अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ये फिल्म केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए अटकी हुई है। कंगना ने एक वीडियो के माध्यम से यह जानकारी दी कि उनकी फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा क्लियर किया गया था, लेकिन उसके बावजूद सर्टिफिकेट देने की प्रक्रिया को रोक दिया गया है। इस लेकर अब वरिष्ठ अभिनेता रज़ा मुराद ने कहा है कि ‘विरोध करना सभी का अधिकार है। यह लोकतंत्र है। कोई भी व्यक्ति न्यायालय जा सकता है, यह उसका अधिकार है। अगर कंगना रनौत को लगता है कि ये अन्याय है तो वे भी अदालत जा सकती हैं।’

बता दें कि फ़िल्म ‘इमरजेंसी’ से जुड़े विवाद का मुख्य कारण फिल्म के कुछ दृश्यों को लेकर है, जिनके बारे में शिरोमणि अकाली दल (SAD) और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने आपत्ति जताई है। उनका दावा है कि फिल्म में सिख समुदाय की छवि को गलत तरीके से पेश किया गया है, जिससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। इसके अलावा, फिल्म में इंदिरा गांधी की भूमिका के संबंध में भी विवाद है, जिसके बाद कंगना ने कहा है कि उनको धमकियां मिल रही हैं।

रज़ा मुराद ने फ़िल्म इमरजेंसी को लेकर उठे विवाद पर ज़ाहिर की अपनी राय

कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ को लेकर उठे विवाद पर अभिनेता रजा मुराद ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि ‘कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ रिलीज से पहले ही विवादों में है। इसके ट्रेलर से एक वर्ग आहत हुआ है और वे इसका विरोध कर रहे हैं। विरोध करना सभी का अधिकार है। यह लोकतंत्र है। कोई भी व्यक्ति न्यायालय जा सकता है, यह उसका अधिकार है। अगर कंगना को लगता है कि उसके साथ अन्याय हो रहा है, तो वह भी न्यायालय जा सकती है। न्यायालय सबके लिए खुला है। न्यायालय ही अंतिम निर्णय करता है।’

उन्होंने कहा कि ‘मैं यह कहना चाहूंगा कि आपातकाल पर पहले भी फिल्में आई हैं, लेकिन यह फिल्म चर्चा में है। अगर किसी की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, तो इससे देश में अशांति फैलती है और कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होती है। इसलिए इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। आप विरोध कर सकते हैं, लोकतंत्र ने सबको ये अधिकार दिया है। हमारी सेंसरशिप संस्था जिम्मेदारी से काम करती है, लेकिन कभी-कभी उन्हें भी यह सोचना चाहिए कि ऐसा कुछ नहीं दिखाया जाना चाहिए, जिससे किसी व्यक्ति या एक वर्ग की छवि खराब हो। यह नहीं कह सकते कि यह विवाद क्या मोड़ लेगा, लेकिन हम चाहते हैं कि सब कुछ शांति से हो’।