कांग्रेस ने बिजली कंपनियों पर लगाया रिश्वतखोरी का आरोप, जीतू पटवारी ने बीजेपी सरकार से किए सवाल…
भोपाल : कांग्रेस ने बिजली कंपनियों पर रिश्वत का आरोप लगाते हुए बीजेपी सरकार से पूछा है कि प्रदेश की जनता पर ये अत्याचार कब तक होता रहेगा। जीतू पटवारी ने दैनिक भास्कर ही खबर का हवाला देते हुए कहा है कि जब राजधानी भोपाल में ही चोरी, लूट और डकैती का खेल चल रहा है तो अन्य स्थानों की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने एक्स पर लिखा कि ‘मध्यप्रदेश में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के दायरे में आने वाले संभागों में रिश्वत के खेल को लेकर दैनिक भास्कर ने जब स्टिंग ऑपरेशन किया तो पता चला कि पिछले साल यानी 2023 में आम लोगों ने मीटर लगवाने के लिए बिजली कंपनी के कर्मचारियों को 45 करोड़ रुपए की घूस दी है। अकेले भोपाल शहर के लोगों ने 7 से 10 करोड़ रुपए रिश्वत के तौर पर दिए हैं। इस खुले खेल में बिजली कंपनी के कर्मचारियों के साथ दलाल सक्रिय हैं, जो मीटर लगवाने के लिए उपभोक्ताओं से रिश्वत वसूल करते हैं। इनका पूरा नेटवर्क काम करता है।’
बिजली कंपनियों पर आरोप
‘मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के दायरे में भोपाल, ग्वालियर, चंबल व नर्मदापुरम संभाग आते हैं। पूरे मध्य क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2023-24 में शहरी इलाके में नया मीटर लगवाने के 62 हजार 673 आवेदन आए, जिसमें से 59 हजार 526 मीटर लगाए गए। उधर, ग्रामीण इलाके में 30 हजार 795 आवेदन मिले और 29 हजार 980 मीटर लगे। इस तरह से कुल आवेदन 93 हजार 468 मिले और मीटर लगे 89 हजार 406।’
‘अब जैसे भोपाल में एक कनेक्शन पर 3 से 5 हजार रुपए नियम विरुद्ध वसूले जा रहे हैं, तो कंपनी के ग्वालियर-चंबल व नर्मदापुरम में भी कमोबेश स्थिति ऐसी ही है। कंपनी ने चारों संभाग में कुल 89 हजार 406 मीटर लगाए! 3 से 5 हजार रु. एक्स्ट्रा कमाई के हिसाब से देखें, तो आम लोगों से 27 से 45 करोड़ रुपए वसूल किए गए हैं। सीएम मोहन यादव जी, इस खुले भ्रष्टाचार के लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री, यानी आप ही जिम्मेदार हैं – यदि यह सीधा आरोप लगा दिया जाए, तो क्या उम्मीद है कि सीएम मध्य प्रदेश ऑफिस से सीधी जांच शुरू होगी और जिम्मेदारों पर सीधी कार्रवाई भी तुरंत हो जाएगी?’
मुख्यमंत्री से किए सवाल
‘लेकिन फिर सवाल उठता है यदि चोरी, लूट और डकैती का यह खुला खेल मुख्यमंत्री की नाक के नीचे ही, भोपाल में ही इतनी ईमानदारी से खुलेआम चल रहा है, तो मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी क्यों नहीं है? या फिर इन लुटेरों को खुद मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है ? अपराध तो दोनों स्थिति में है! मुख्यमंत्री को पता है तो उन्होंने इस लूट की खुली छूट दे रखी है और यदि मुख्यमंत्री को नहीं पता है, तो फिर मुख्यमंत्री का, मुख्यमंत्री के रूप में, मुख्यमंत्री बनकर भोपाल में बैठने का क्या फायदा है ? क्योंकि बिजली किसी भी आम नागरिक और परिवार की अनिवार्य जरूरत होती है, इसीलिए विभाग के दलाल इसका फायदा उठाते हैं और मजबूर जनता अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए इन भूखे दलालों का पेट भरती रहती है।’
‘मोहन भैया, यह सच है कि पर्ची के जरिए आप कुर्सी तक तो पहुंच गए हैं, लेकिन जब पहुंच ही गए हैं तो जनता के साथ हो रहे इस अत्याचार को रोकिए। आप मुख्यमंत्री हैं, एक स्पेशल टीम बनाइए और जांच कीजिए! फिर ऐसी सजा दीजिए कि कोई बिजली चोर अपने मध्यप्रदेश में 1 रुपया लेने की भी हिम्मत नहीं कर सके।’