MP : चयनित अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती 2018 प्रक्रिया को लेकर शिक्षा मंत्री से की मुलाकात, जल्द पूरी करने की मांग…
भोपाल : शिक्षक भर्ती 2018 पिछले 6 वर्षों से लंबित है। इस भर्ती आज तक पूर्ण होने की मोहर नहीं लग पाई है। क्योंकि विभाग द्वारा कई प्रकार की विसंगतियां दोहराई गई। अभ्यर्थियों ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों अवगत कराया परंतु उनकी एक न सुनी, उल्टे उन्हें कोर्ट जाने की नसीहत दी गई। इस तरह अभ्यर्थियों द्वारा कोर्ट में याचिका लगाई गई और जिसके कारण यह भर्ती आज तक अधूरी है। शिक्षा मंत्री से इस विषय में चर्चा हुई तो उनका कहना है कोर्ट केस के फैसले के अधीन शिक्षक नियोजन प्रक्रिया 2018 को पूर्ण किया जाएगा। इस भर्ती के अधूरे रहने का एक अन्य कारण ओबीसी आरक्षण भी है जिसे कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 14% से बढ़ाकर 27% कर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि कई अभ्यर्थी इस बढ़े हुए आरक्षण के विरोध में कोर्ट चले गए।
शिक्षक नियोजन प्रक्रिया 2018 शुरू से ही विवादों में रही हैं क्योंकि इसके प्रथम चरण में 12 विषयों में 27% से नियुक्ति दी गई और चार विषयों में 14% से क्योंकि इन चार विषयों के अभ्यर्थी कोर्ट में याचिका दायर करने पहुंचे जिसके कारण 13% पद होल्ड कर दिए गए, न यह पद सामान्य वर्ग को दिए गए ना ही ओबीसी वर्ग को इतना ही नहीं द्वितीय चरण (विभाग द्वारा फ्रेस विज्ञप्ति) में विभाग द्वारा जारी पत्र क्रमांक UCR/C/253/2022-23-1446, दिनांक 30/09/2022 को बिंदु क्रमांक 3 में वर्णित था कि पिछड़े वर्ग को 14% से नियुक्ति दी जाएगी और 13% पद कोर्ट के अधीन रहेंगे परंतु पत्र क्रमांक UCR/C/253/2022-23-456, दिनांक 17/3/23 को इस बिंदु को विभाग ने अपनी सुविधा अनुसार हटा दिया और उच्च माध्यमिक और माध्यमिक के सभी विषयों में 27% आरक्षण के साथ नियुक्ति दी। जबकि उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय में मामला विचाराधीन है इस तरह से विभाग के आला अधिकारियों द्वारा बार-बार कोर्ट की अब मानना की गई तथा अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया।
आरक्षण संबंधित याचिका क्रमांक 5901/2019 आज भी उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं और 60 से 65 अन्य याचिकाएं भी इस विषय पर लगी हुई है। पात्रता परीक्षण उत्तीर्ण अभ्यार्थी रचना व्यास का कहना है कि मध्य प्रदेश की सारी भर्तियां केवल इसी मसले पर उलझी हुई है और जिम्मेदार आज तक मौन है, शायद राजनीति से संबंधित मामला होता तो समय सीमा में सुलझा लिया जाता। परंतु शायद युवाओं के भविष्य से संबंधित मुद्दा है इसलिए 6 वर्षों से लंबित है।
रक्षा जैन का कहना है कि मुद्दा उच्चतम न्यायालय में भी विचाराधीन है दोनों ही वर्ग के अभ्यर्थी पिछले 6 वर्षों से इन पदों पर नियुक्ति की मांग कर रहे हैं दोनों को ही बड़ी उम्मीद हैं, विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव भी हो गए हैं परंतु इन अभ्यर्थियों के साथ आज तक न्याय नहीं हो पाया। अभ्यर्थी आयु सीमा को पार कर रहे हैं तथा मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान है। शिक्षक भर्ती 2018 की अध्यक्ष रक्षा जैन ने 20 जून 2024 गुरुवार को शिक्षा मंत्री से मुलाकात की और भर्ती में हुई विसंगतियां को दूर करते हुए और कोर्ट के अधीन भर्ती पूर्ण कराने के लिए मांग पत्र सौंपा।
एक मुद्दा यह भी है कि समूह 3 के अभ्यर्थी द्वारा लगाई गई याचिका 6036/2023 का हवाला देकर यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि 13% होल्ड पदों पर ओबीसी को नियुक्ति देने का रास्ता साफ हो गया है परंतु वास्तव में याचिका कर्ता स्वयं डिसक्वालीफाई हो गया जिसके कारण कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी, न कि कोर्ट ने कोई जजमेंट दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा भी सर्कुलर जारी कर दिया गया जो कि सिर्फ 2022 की भर्ती के लिए है ना कि सभी भर्तीयों के लिए। इसके कारण अभ्यर्थियों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई।
रक्षा जैन और रचना व्यास का सरकार और न्यायालय से निवेदन है कि शीघ्र से शीघ्र इस पूरे मसले को हल किया जाए। मामला चाहे कोर्ट में है, लेकिन यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। इसे सरकार और न्यायालय को लोगों के भविष्य से जोड़कर देखना चाहिए। जिस पर समय सीमा तय करते हुए शीघ्र फैसला देकर युवाओं का जीवन बर्बाद होने से बचाया जा सके।