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जानिए शिवलिंग के बारे में जिस की आराधना करने के बाद मिलती है विजय…

800 वर्ष पूर्व राजा पृथ्वीराज चौहान ने करवाई थी वनखंडेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना

शिवलिंग की आराधना करने के बाद अजेय रहे आल्हा उदल से युद्ध में मिली थी विजय

भिंड में गौरी सरोवर के किनारे बना है ये वनखंडेश्वर मंदिर, किंवदंती है कि इस मंदिर को अजमेर के सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने बनवाया था पृथ्वीराज महोबा के सेनापति आल्हा-ऊदल से युद्ध के लिए जा रहे थे उस वक्त यहां घोर वन हुआ करता था पृथ्वीराज चौहान ने यहां पड़ाव किया और विजय की कामना से यहां शिव मंदिर की स्थापना कराई मंदिर में घी की अखंड ज्योति जलाई, जो आज भी जल रही है घोर वन में पड़ाव के लिए की खुदाई, तो प्रकट हुए वनखंडेश्वर…. अजमेर के राजा पृथ्वीराज चौहान 1175 में महोबा के चंदेल राजा से युद्ध करने इस भिंड के रास्ते से गुजरे थे। महोबा के राजा परिमाल देव के सेनापति आल्हा और उदल उस वक्त तक अजेय योद्धा थे आज जहां वनखंडेश्वर मंदिर है वह घोर वन हुआ करता था, पृथ्वीराज चौहान ने यहां पड़ाव डाला, इसके लिए खुदाई हुई तो एक शिवलिंग निकल आया अपने आप प्रकट हुए शिवलिंग के दर्शनों को पृथ्वीराज चौहान ने संकेत समझा, और इस जगह पर मंदिर बनाकर स्वयंभू शिवलिंग की स्थापना करा दी। अपने पुरोहित की सलाह पर पृथ्वीराज ने इस मंदिर में विशेष अनुष्ठान कराया और एक अखंड ज्योति की स्थापना कराई वन खंड में प्रकट हुए शिव यहां विराजे हैं इसलिए इस मंदिर को वनखंडेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है मंदिर और अखंड ज्योति स्थापना के बाद पृथ्वीराज और आल्हा-ऊदल के बीच घमासान युद्ध हुआ, लेकिन वनखंडेश्वर महादेव के आशीर्वाद से अब तक अजेय आल्हा-ऊदल को पीछे हटना पड़ा आज भी जल रही है अखंड ज्योति अजमेर के राजा पृथ्वीराज चौहान ने जलाई अखंड ज्योति वन खंडेश्वर में में आज भी अखंड रूप से प्रज्ज्वलित है दरअसल अखंड ज्योति की स्थापना के बाद से ही यहां भगवान वनखंडेश्वर को घी समर्पित किया जाता है इस अखंड ज्योति के दीपक का बर्तन करीब 1.25 लीटर का है, और प्रथा के मुताबिक जब कोई घी समर्पित करता है तो इससे कम घी नहीं लाता कोई ज्यादा घी लाता है, तो पहले उसे अखंड ज्योति के बर्तन में डाला जाता है, इसके भर जाने पर बचे हुए घी को मंदिर के पात्र में डाल दिया जाता है, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर उपयोग में लाया जा सके इस तरह ये अखंड ज्योति 1175 से अब तक लगातार जल रही है मंदिर के गर्भगृह में जल रही इस अखंड ज्योति की निगरानी दो पुजारी दिन-रात करते है। इस अखंड ज्योति को मंदिर के पुजारी किसी भी हालत में बुझने नहीं देते बारिश में गौरी सरोवर एक बार जरूर करता है वनखंडेश्वर का जलाभिषेक बारिश के मौसम में हर बार गौरी सरोवर एक बार जरूर वनखंडेश्वर महादेव का जलाभिषेक करता है। हालांकि कभी भी पानी गर्भ गृह तक तक नहीं पहुंचा जहां अखंड ज्योति जल रही है- गौरी सरोवर का पानी वनखंडेश्वर का अभिषेक कर अपने आप वापस लौट जाता है- इस बार बारिश से उफने गौरी सरोवर ने वनखंडेश्वर महादेव को बार नहला दिया है। स्लाइड्स में है पृथ्वीराज चौहना की जलाई अखंड ज्योति जो आज भी जल रही है वह मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में है यहां यह मंदिर भिंड में बनखंडेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है