इंदौर में 100 टन ऑक्सीजन स्टॉक प्रशासन का दावा तीसरी लहर में दूसरी से हालत नहीं होंगे, अभी 2% भी खपत नहीं
बढ़ते कोरोना संक्रमण पर केंद्र ने सभी राज्यों को अस्पतालों में ऑक्सीजन का 48 घंटे का बफर स्टॉक रखने को कहा है। दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत झेल चुके इंदौर में इस बार भरपूर ऑक्सीजन होने का दावा है। दावा है कि 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन स्टॉक है। तीसरी लहर में एसिम्प्टोमैटिक मरीज आ रहे हैं। अभी 2% ऑक्सीजन की खपत है। दूसरी लहर के पीक में हर दिन 130 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी।दूसरी लहर के दौरान शहर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कैपेसिटी 10 से 15 मीट्रिक टन थी। मरीजों की संख्या में बेहताशा वृद्धि होने के कारण हालात काफी खराब थे। बाहर से ऑक्सीजन मंगानी पड़ी थी। इसकी वजह यह थी कि इंदौर के अलावा आसपास के जिलों से भी मरीज आ रहे थे। जिला क्राइसिस कमेटी के सदस्य डॉ. निशांत खरे ने बताया कि पर्याप्त मात्रा में सिलेंडर भी हैं। नेमावर रोड स्थित भी ऑक्सीजन प्लांट हाल ही में शुरू हुआ है। यहां रोज 600 सिलेंडर भरे जा सकेंगे। इस प्लांट में ऑक्सीजन की शुद्धता कंट्रोल की जा सकेगी।MYH, MTH, MRTB, अरबिंदों में लिक्विड ऑक्सीजन का स्टॉकजहां तक ऑक्सीजन प्लांट का सवाल है, इंदौर में नहीं है लेकिन सरकारी अस्पताल MYH में 10 KL, MTH में 10 KL, सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल अरबिंदो में 10 KL, प्राइवेट के तहत अरबिंदो अस्पताल में 12 KL, इंडेक्स, चोइथराम, बॉम्बे हॉस्पिटल आदि में पर्याप्त स्टोरेज है। यहां ऑक्सीजन जाम नगर आदि से मंगाई जाती है। डॉ. खरे ने बताया कि इंदौर में इंडस्ट्रियल सेक्टर से मिलने वाले लिक्विड ऑक्सीजन को कन्वर्ट किया जाता है।यहां ASU (एयर सप्रेशन यूनिट्स) हैं। एडमॉसफियरिक में से पूरी हवा अंदर लेते हैं और बाकी गैसेस सब्सट्राइिट करते हैं- जैसे नाइट्रोजन आदि। ऑक्सीजन को कंसंट्रेट कर 97-98% तक लाकर ऑक्सीजन डिलीवर करते हैं। शहर के अस्पतालों में बड़े लिक्विड ऑक्सीजन टैंक्स हैं। दो-तीन एजेंसियों से लिक्विड ऑक्सीजन मंगाकर स्टोर की जाती है। लिक्विड व नॉर्मल ऑक्सीजन की जरूरत में यूं कोई ज्यादा अंतर नहीं होता है। लिक्विड ऑक्सीजन ACU की जो लाइन्स बिछी रहती है, जिनके यहां सिस्टम के तहत कन्वर्ट होती है। डिलीवरी में अगर अच्छा ACU प्लांट है तो वह आवश्यकता की पूर्ति कर देती है।