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राहु के दोष के निवारण हेतु ये रत्न करें धारण

राहु का रत्न गोमेद है जिसका विभिन्न नाम इस प्रकार है-हिन्दी में गोमेद, गोमेदक. संस्कृत में-गोमेदक, फारसी में मेदक और अंग्रेज़ी में झिरकान कहते हैं.

गोमेद के रंग

शहद के समान रंग की झाई लिए हुए रत्न गोमेद-गोमूत्र के समान पीला कुछ लालिमा तथा कुछ श्याम वर्ण के लिए होता है.

धारणकर्ता पर गोमेद का प्रभाव

यह रत्न शत्रु नाशक, युद्ध में विजय दिलाने वाला, राहु के समस्त अनिष्टों को दूर करने वाला, अनेक बीमारियों को नष्ट करने वाला तथा धन-धान्य, पुत्र-पौत्रादि एवं समस्त मनोकामनाओं को देने वाला है.

गोमेद किस व्यक्ति को धारण करना चाहिए?

यदि जातक की जन्म राशि अथवा लग्न कुंभ, वृष, मिथुन अवथा तुला होनी चाहिए.

यदि शुक्र और बुध के साथ राहु बैठा हो.

यदि जन्म लग्न मकर हो.

जन्म कुंडली में राहु यदि नीच राशि का हो.

यदि जन्म कुंडली में द्वितीय, तृतीय, नवम अथवा एकादश भाव में राहु स्थित हो.

यदि जन्म कुंडली में केन्द्र प्रथम, चर्तुथ, सप्तम और एकादश भाव में राहु बैठा हो.

गोमेद धारण का विधान

जिस दिन आद्रा, शवभिषा अथवा स्वाती-नक्षत्र हो उस दिन सोने या चांदी धातु में 7 रत्ती गोमेद जड़वाएं. और उसी दिन स्नानादि से पवित्र होकर दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में धारण कर लें.

दोष युक्त गोमेद धारण का विधान

यदि जातक की जन्म कुंडली में राहु के साथ सूर्य, चंद्र अथवा मंगल बैठा हो तो दोषी गोमेद धारण करके भी लाभान्वित हो सकते हैं.

धारणकर्ता पर गोमेद के प्रभाव अवधि मुद्रिका में जड़वा कर धारण के दिन से तीन वर्ष तक प्रभावशाली रहता है. तत्पश्चात उसे बदल-बेच लेना चाहिए.

मैं हमेशा से मानती हूं कि किसी भी रत्न को धारण करने से पहले सलाह मशवरा जरूर करना चाहिये कहीं ये आप पर गलत प्रभाव ना डाल दे. गोमेद से जुड़े अगर आप कोई और तथ्य भी जानते हैं तो हमें जरुर बतायें…