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देवी कात्यायनी को समर्पित है दिल्ली का छतरपुर मंदिर

छतरपुर मंदिर में माता का स्वरूप देखते ही बनता है. यह देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर परिसर है. देवी दुर्गा के छठे स्‍वरूप को समर्पित यह मंदिर बेहद खूबसूरत है. यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है और आसपास खूबसूरत बगीचों से घिरा हुआ है. मंदिर की नक्‍काशी, दक्षिण भारतीय वास्‍तुकला में की गई है. इस मंदिर को स्‍वामी नागपाल ने बनवाया था. वैसे, इसमें हमेशा निर्माण चलता रहता है.

मंदिर का है इतिहास है रोचक

ऐतिहासिक दृष्टि से भी मंदिर की काफी महत्ता है. इस मंदिर की स्थापना 1974 में कर्नाटक के संत बाबा नागपाल के प्रयास से हुआ है. आज जहां माता यह भव्य मंदिर खड़ा वहां कभी छोटी सी कुटिया हुआ करती थी और धीरे-धीरे मंदिर परिसर 70 एकड़ क्षेत्रफल तक फैल गया. इस मंदिर में मां दुर्गा अपने छठवें कात्यायनी के रौद्र स्वरूप में विराजमान हैं. जिनके एक हाथ में चण्ड-मुण्ड का सिर और दूसरे में खड्ग है.

ऐसा है मां का स्वरूप

छतरपुर मंदिर में मां दुर्गा अपने छठे रूप माता कात्यायनी की प्रतिमा रौद्र स्वरूप में दिखाई देती है. माता के एक हाथ में चण्ड-मुण्ड का सिर और दूसरे में खड्ग है. तीसरे हाथ में तलवार है और चौथे हाथ से मां अपने भक्तों को अभय प्रदान करती हुई दिखाई देती हैं. मंदिर का संबंध में दक्षिण भारत से होने की वजह से माता को माला आती है.

ऐसे होता है माता का श्रृंगार

देवी कात्यायनी का श्रृंगार रोज सुबह 3 बजे से शुरू किया जाता है, जिसमें इस्तेमाल हुए वस्त्र, आभूषण और माला इत्यादि दोबार माता को धारण नहीं कराए जाते. इसके अलावा माता को खास रंगों की फूलों की माला से सुसज्जित किया जाता है. यहां आपको भगवान शिव, विष्णु, श्री गणेश-माता लक्ष्मी, हनुमान जी और श्रीराम-माता सीता आदि के दर्शन भी हो जाते हैं. इस मंदिर की एक खास बात है कि यह ग्रहण में भी खुला रहता है और नवरात्रों के दौरान इसके द्वार 24 घंटे अपने भक्तों के लिए खुले रहते हैं.

मनोकामना पूरी होती है ऐसे

छतरपुर मंदिर में जैसे ही आप प्रवेश करते हैं तो आपको एक बड़ा सा पेड़ दिखाई देता है, जहां श्रद्धालु मन्नत की चुनरी, धागे, चूड़ी आदि बांधते है. मंदिर की मान्यता के अनुसार ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

ग्रहण में भी खुलता है मंदिर

मंदिर में आपको भगवान शिव, विष्णु, श्री गणेश और माता लक्ष्मी, हनुमानजी और श्रीराम-माता सीता आदि के दर्शन भी हो जाते हैं. इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि यह ग्रहण में भी खुला रहता है और नवरात्रों के दौरान 24 घंटे अपने भक्तों के लिए मां के द्वार खुले रहते हैं.