मध्य प्रदेश बन चुका है रिश्वतखोरी का गढ़
मध्य प्रदेश रिश्वतखोरी का गढ़ बनता जा रहा है. यहां करीब-करीब रोज एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है. सबसे ज्यादा भ्रष्ट जिला सागर और सबसे ज्यादा भ्रष्ट विभाग राजस्व है. इस विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बिना रिश्वत लिए काम नहीं कर रहे. अब इन घोटालों पर राजनीति भी शुरू हो गई है.
लोकायुक्त से मिले आंकड़े बतात हैं कि प्रदेश में पिछले 20 महीनों में रिश्वतखोरी के 232 मामले सामने आए. सबसे ज्यादा 40 मामले सागर में पकड़े गए. प्रदेश में बीते 7 साल में 1658 अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए हैं. भोपाल में 20 महीने में रिश्वत लेने वाले 20 अधिकारी-कर्मचारी पकड़े गए. इसी अवधि के दौरान सबसे ज्यादा राजस्व विभाग से जुड़े 6, नगर निगम से जुड़े 5, पुलिस से जुड़े 2, स्वास्थ्य विभाग से जुड़े 3 अधिकारियों-कर्मचारियों को पकड़ा गया.
विपक्ष ने खड़े किए सरकार की मंशा पर सवाल
प्रदेश में लगातार सामने आ रहे रिश्वतखोरी के मामलों को लेकर कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि रिश्वतखोरी के खेल में बड़े-बड़े आका लिप्त हैं. जब एसपी-कलेक्टर की पोस्टिंग के लिए पैसे जाने लगेंगे, तो हर स्तर पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी बढ़ेगी ही. उन्होंने कहा कि प्रदेश में बड़े-बड़े घोटाले हो रहे हैं. यह सबसे ज्यादा भ्रष्टाचारी सरकार है. लोगों को राहत नहीं मिल रही. यह सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है. सागर जिला भ्रष्टाचार का सागर बन गया है.
यह सरकार की ही मंशा है- बीजेपी
कांग्रेस के इस बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है. प्रदेश बीजेपी मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि यह बीजेपी सरकार की कार्यशैली है. एजेंसियों को स्वतंत्रता है. मुख्यमंत्री नहीं चाहते कि अवैध लेन-देन हो. उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी है. सभी एजेंसियां अपना-अपना काम कर रही हैं. यही बीजेपी सरकार की इच्छा है.