बिना सोचे समझे मत धारण करें रत्न, कहीं सब उल्टा न हो जाये
कभी कभी जब हम लोगों को रत्न पहने देखते हैं तो बोल देते हैं कि ये क्या पहन रखा है इन सब से कुछ नहीं होता. लेकिन शास्त्रों के अनुसार रत्न कोई भी हो अपने आपमें प्रभावशाली होता है. मनुष्य अनादिकाल से ही रत्नों की तरफ आकर्षित रहा है, वर्तमान में भी है तथा भविष्य में भी रहेगा. रत्न शरीर की शोभा आभूषणों के रूप में तो बढ़ाते ही हैं और कुछ लोगों का मानना है की रत्न अपनी दैवीय शक्ति के प्रभाव के कारण रोगों का निवारण भी करते हैं.
रत्नों का उपयोग जांच-परखकर तथा सोच-विचारकर करना चाहिए. कुछ पत्थर या पदार्थों के गुण, चरित्र एवं विशेषताएँ ऐसी होती हैं कि उन्हें देखते ही रत्न कह दिया जाता है, जैसे-हीरा, माणिक्य, वैदूर्य, नीलम, पुखराज, पन्ना आदि को लोग रत्न के नाम से पुकारते हैं. वैसे वास्तव में ये सारे पत्थर ही हैं, लेकिन बेशक़ीमती पत्थर.
अब आइये जानते है किस व्यक्ति को कौन सा रत्न पहनना चाहिए…
1-माणिक्य- इस रत्न को अंग्रेजी में रूबी कहते है. रंग में यह रक्त गुलाबी, सूर्ख, श्याम होता है. यह सूर्य रत्न कहलाता है.
2-हीरा- डायमंड सफेद, गुलाबी, काला, नीला आदि का रंग का होता है. इसके चार वर्ण भेद होते है.
3-पन्ना- यह हरे रंग का नीम की पत्ती जैसा लोचदार पत्थर होता है.
4-नीलम- मोर की गर्दन जैसा नीला लोचदार व चमकदार उत्तम माना जाता है
5-लहसुनिया- इसे कैटस आई भी कहते है क्योंकि इसमें बिल्ली के माफिक सूत पड़ा होता है. इसका रंग पिलास लिये तथा स्याही एंव सफेद लिए होता है.
6-मोती- यह सफेद, काला, पीला, नीला एंव आसमानी रंग का होता है.
7-मूंगा- कोरल सिन्दूरी लाल रंग का ( यह समुद्री जड़) होती है. फारसी में इसे मरंजान कहते है.
8-पुखराज- यह रत्न पीला व सफेद रंग होता है.
9-गोमेद- लाल धुयें के रंग का होता है. रक्त, श्याम तथा पीत आभा युक्त उत्तम माना जाता है.
कौन सा रत्न किस ग्रह से सम्बन्धित है-
माणिक्य-सूर्य
मोती-चन्द्र
मूॅगा-मंगल
पुखराज-बृहस्पति
हीरा-शुक्र
नीलम-शनि
गोमेद-राहु
लहसुनिया-केतु
रत्नों को देख मुझे 3 इडियट्स के राजू की याद आती है जिसे लास्ट में बिना अंगूठी पहने भी नौकरी मिल जाती है, ये मेरा मानना है जरूरी नहीं कि आप भी इसी तरह सोचें. एकता कपूर रत्नों को अपने लिए बहुत लकी मानती है और सही भी है आज कौन नहीं है उनसे परिचित.