Religious

सीता जी की गलतियों को ना दोहरायें बल्कि खुद निर्णय ले

अयोध्या की नारियाँ पुरूषों के प्रति आज्ञाकारिता की डोर में बँधी हुई हैं. सीता राम की छाया बनकर सर्वत्र उनका अनुसरण करती देखी जा सकती हैं. उनका सब कुछ राम का है. राम से अलग सीता का कोई अस्तित्व नहीं है. लेकिन अगर इसे आज के समय में देखा जाये तो कई ऐसी बातें हैं जो आपको बहुत कुछ सिखाती हैं और उसके साथ साथ आपके और आपके पति के रिश्तों को मजबूत भी बनाती हैं. आज के समय में ना कोई राम जैसा मर्यदापुर्षोत्तम है और ना कोई सीता जैसे. आज हम आपका ध्‍यान सीता के जीवन से जुड़ी उन गलतियों की ओर आकर्षित करेंगे, जिसे आज के दौर में अगर आपने दोहराया तो आपको इसकी अच्‍छी खासी कीमत चुकानी पड़ सकती हैं. 

मेरे अनुसार सीता जी ने पति की ही आज्ञा को सर्वोपरि मान कर अपनी पूरी ज़िंदगी उन्हीं के इर्द-गिर्द रख दी.

पति का चुनाव सोच समझ कर करें.

आजकल लव मैरिज का जमाना है, जाहिर है आप देवी सीता की तरह स्‍वयंवर नहीं करेंगी, मगर लव मैरिज करते वक्‍त भी केवल पर्सनालिटी देख कर लाइफ पार्टनर न चुने, जिस तरह देवी सीता केवल धनुष तोड़ देने पर राम को पति चुन लिया था. आज के दौर में बहुत जरूरी है कि पार्टनर चुनते वक्‍त इस बात का ध्‍यान दिया जाए कि उस पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं और क्‍या वो आप पर भरोसा करेगा या नहीं. 

पति के फैसले को ही न समझें आखरी फैसला

जब माता केकई के कहने पर महाराजा दशरथ ने राम को 14 वर्ष के बनवास जाने का आदेश दिया तो राम ने तुरंत ही इस आदेश को स्‍वीकार कर लिया. राम के साथ सीता ने भी बनवास पर जाने का निर्णय लिया और 14 वर्ष तक जंगलों में दिन गुजारे. मगर आज के दौर में यह संभव नहीं है. पति यदि कोई फैसला लेता है तो उसे मानने की जगह उसे समझाएं कि इसके क्‍या नुकसान हो सकते हैं. खुद कभी पति के गलत फैसले में साथ न दें. पति अपना फैसला थोपे तो उसे बड़े प्‍यार से समझाएं कि आप उनके इस फैसले में उनके साथ नहीं हैं. 

सोच समझ कर करें जिद

बनवास के दौरान देवी सीता ने अपने पति राम को ए‍क हिरण के शिकार पर जिद करके भेजा था. उसके बाद जो हुआ उसी पर पूरी रामायण लिखी गई है. सीता जैसा एक्‍सपीरियंस आपको न हो इसलिए सोच समझ कर जिद करें. आपकी जिद आपको ही मुसीबत में डाल सकती है. इसके साथ ही जिद उसी चीज की करें जो आपकी लाइफ में एक बड़ा इफेक्‍ट डाल रही हो. 

पति को सर्वोपरि ना मान के जिम्मेदारियों का एहसास करायें

वनवास से वापिस लौटने के बाद जब राम और सीता अयोध्‍या आए तो प्रजा ने सीता के हरण्‍को लेकर सवाल उठाने खड़े कर दिए. सीता को लेकर लोगों के बीच फैले भ्रम के कारण राम ने उन्‍हें त्‍याग दिया. जिस वक्‍त राम ने सीता को त्‍यागा था उस वक्‍त सीत जी गर्भावती थीं मगर सीता जी ने पति के त्‍याग को उनकी आज्ञा समझकर उसका पालन किया. बच्‍चों के जन्‍म के बाद भी सीता ने सिंगल मदर बन कर दोनों बच्‍चों का पालनपोषण किया. मगर क्‍या आज के दौर में यह संभव है. सिंगल मदर होने में कोई बुराई नहीं है मगर पिता के होते हुए बच्‍चे की पूरी जिम्‍मेदारी उठाने की जरूरत नहीं है. बच्‍चे की जिम्‍मेदारी को दोनों को ही बराबर से उठाना चाहिए. महिला ने बच्‍चे को जन्‍म दिया तो इसका मतलब यह नहीं है कि बच्‍चे के सारे काम वही करेगी. अपने पति को शुरु से ही उनके हिस्‍से की जिम्‍मेदारियों का अहसास कराएं.

आज भी जब घर में बेटे की शादी होती तो सास की चाहत होती है कि उनके घर सीता जैसी आज्ञाकारी बहु आए. पुरुषों को ऐसी पत्‍नी चाहिए होती है जो, सुख दुख में उनके साथ कदम से कदम मिला कर चल सके और बच्‍चों की अच्‍छी परवरिश कर सके. मगर सवाल यह उठता है कि आप तो सीता बन जाएंगी मगर क्‍या आपको राम जैसा ही लाइफ पार्टनर चाहिए? हो सकता है कि हमारे इस सवाल से आपके मन में काफी उथल पुथल मच गई हो लेकिन आज के समय में किसी इंसान को सबकुछ मान लेना उसे भगवान का दर्ज़ा दे देना मुझे नहीं लगता की समझदारी कहलायेगी.