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शिवलिंग पर दूध चढ़ाइये बहाइये नहीं, दूध दान करने से मिलेगा लाभ

लोगों की मान्यताएँ एक तरफ हैं और इस संसार की वास्तविकता किसी दूसरे ही तरफ है. ये दोनों चीज़ें ठीक एक नदी के दो किनारों की तरह ही हैं, जो हमेशा साथ साथ तो चलती हैं ही, मगर साथ साथ होकर भी कभी मिल नहीं पाती हैं.

शिवलिंग पर दूध को चढ़ाने की क्रिया पर हमारा मत कुछ इसी प्रकार ही हैं. दूध चढ़ाना न चढ़ाना, पूर्णतः आप पर ही निर्भर करता है. किसी भी धर्म ग्रंथ, उपनिषद अथवा पुराण में इस विधि का किसी भी प्रकार से कोई भी उल्लेख नहीं मिलता है.

यह तो बस एक सदियों से चली आ रही रीति है, जिसे हमने निभाना अपनी ही इच्छा से चुना था. परंतु, यदि ध्यान से देखा जाए तो, जिन रीतियाँ और रिवाज, नियम और कानून का निर्माण सदियों पहले उस समय की आवश्यकता को ध्यान में रखकर किया गया था, ऐसा बिलकुल भी ज़रूरी नहीं है, कि आज के युग में भी उन नियमों की उतनी ही आवश्यकता हो अथवा ये नियम और रिवाज इस समय में भी वैध रहें.

इसके अलावा, ऐसा हम में से बहुत से लोगों ने कभी न कभी अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार तो देखा और अनुभव किया होगा, कि लोग यों तो फिजूलखर्ची करते हुए अपने कितने सारे पैसे बर्बाद कर देते हैं, पर किसी नेक काम पर अपना पैसा लगाते वक़्त बहुत कतराते हैं.

रोजाना अगर हिसाब लगाया जाए तो ऐसे ही देशभर में कितने सारे शिवलिंगों पर दूध चढ़ाया जाता है. अकसर बहुत से मंदिरों में इस चढ़ाये गए दूध की निकासी की उचित व्यवस्था भी नहीं होती है.

ऐसी स्थिति में कितनी भारी मात्रा में दूध की बरबादी हो रही है, इसका अंदाज़ा हम सभी सही तरीके से लगा सकते हैं. अधिक से अधिक मामलों में इस दूध को नालों में ही बहा दिया जाता है, जो कि सरासर दूध की बरबादी ही है.

इसके विकल्प में हम शिवलिंग पर सिर्फ थोड़ा सा ही दूध चढ़ा कर बाकी बचे हुए दूध का दान किसी ज़रूरतमन्द को कर सकते हैं. इससे शिवलिंग पर दूध तो चढ़ेगा ही, साथ ही साथ दूध की बरबादी की मात्रा में भरी गिरावट भी आएगी . दान से नेकी करने का मौका भी मिल जाएगा.