जनता के मुद्दों पर चर्चा से भागने वाली सरकारें जनता की सरकारें नहीं हो सकती: कमलनाथ
भोपाल: सदनों को तय समय से पहले स्थगित करने के मसले पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने बीजेपी पर हमला बोला है. कमल नाथ ने कहा है कि जनता के मुद्दों पर चर्चा से भागने वाली सरकारें जनता की सरकारें नहीं हो सकती. कमल नाथ ने कहा है कि जिस तरह से सरकारें जनता के मुद्दों पर चर्चा करने से बचने के लिए हथकंडे अपना रही हैं, वैसा देश और प्रदेश के इतिहास में कभी नहीं हुआ.
दरअसल मध्य प्रदेश विधानसभा के चार दिवसीय मॉनसून सत्र की शुरुआत 9 अगस्त से हुई थी. लेकिन दो दिनों में विधानसभा की कार्यवाही महज़ तीन घंटे तक चली. पहले दिन जब विपक्ष ने आदिवासियों का मुद्दा उठाया तब सदन की कार्यवाही को अगले दिन के लिए स्थगित कर दिया गया. इसके बाद जब अगले दिन विपक्ष ने महंगाई, बेरोजगारी, ओबीसी आरक्षण और कोरोना से जुड़े सवाल उठाने के प्रयास किए तब मॉनसून सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.
कुछ ऐसा ही देश की संसद में भी हुआ. मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष लागतार केंद्र सरकार पर पेगासस जासूसी कांड, कृषि कानूनों और महंगाई जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए दबाव बनाता रहा. विपक्षी दलों ने सदन के बाहर भी इसको लेकर प्रदर्शन किए. लेकिन मॉनसून सत्र के आखिरी हफ्ते के तीसरे दिन ही दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और देश की राजधानी दिल्ली दोनों ही जगह विपक्ष बीजेपी शासित सरकारों के इस रवैए का विरोध कर रहा है.
भोपाल में बुधवार को यूथ कांग्रेस ने शिवराज सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. कांग्रेस के इस विरोध प्रदर्शन के खिलाफ पुलिस ने लाठियां और पानी की बौछार का सहारा लिया. जिसमें पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास समेत कई नेता घायल हो गए. वहीं संसद में भी विपक्षी दलों के कई सांसदों को बदसलूकी का सामना करना पड़ा. यहां तक कि विपक्षी दलों की महिला सांसदों के साथ भी सुरक्षा कर्मियों द्वारा बदसलूकी और धक्का मुक्की करने का आरोप लगा.