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गरुण पुराण की महत्वपूर्ण बातें जिसे आपको जानना चाहिये

गरुण  पुराण के पहले भाग में विष्णु भक्ति और उपासना की विधियों का उल्लेख है. इसके अलावा मृत्यु के बाद ‘गरूड़ पुराण’ के श्रवण का प्रावधान है. वहीं दूसरे भाग में भूत-पिशाचों का विस्तार से वर्णन करते हुए विभिन्न नरकों में जीव के पड़ने का वृत्तान्त है. इसमें मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन प्राप्त होता है.

  1. मृत्यु के बाद गरुण पुराण का होता है श्रवण

सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुण  पुराण का श्रवण किया जाता है. इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारण को प्रवृत्त करने के लिये अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है. इसके अलाव गरुण पुराण में आयुर्वेद, नीतिसार आदि विषयों के वर्णन के साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किये जाने वाले कृत्यों का विस्तार से निरूपण किया गया है.

  1. इन पापों से लिप्त मनुष्य को मिलता है नर्क

गरुण पुराण में मनुष्य को उसके पापों के हिसाब से मिलने वाली सजा का भी जिक्र है. इसमें कहा गया है कि ब्राह्मण और पंडित को मारना, किसी व्यक्ति को नशे की हालत में छोड़कर चले जाना, किसी पवित्र कसमों और वादों को तोड़ना, भ्रूण की हत्या करना या फिर भ्रूण को नष्ट करना आदि को गरुण पुराण में गंभीर पाप माना गया है. ऐसा करने वाले मनुष्य को जीवन में जरूर यमलोक(नर्क) में अपने कर्मो की सज़ा पाने के लिए तैयार रहना होगा.

  1. महिला पर अत्याचार करने वालों को भी भोगना होता है नर्क

किसी महिला की हत्या करना, महिला को प्रताड़ित करना, या फिर उसकी इज्जत को लुटते हुए देखना या फिर किसी गर्भवती महिला को मारना-पीटना, किसी के विश्वास को धोखा देना और किसी की हत्या करने के लिए हथियार के रूप में ज़हर का इस्तेमाल करना. ये सब गरुण  पुराण में घोर पाप माने गए हैं, जिनके लिए सिर्फ नर्क ही एकमात्र द्वार है.

4.  पराए मर्द से संबंध स्थापित करने वाली स्त्री को मिलती है ये सजा

गरुण  पुराण में स्त्रियों के लिए भी सजा का जिक्र है। इसमें लिखा है कि यदि कोई स्त्री अपने पति को छोड़कर किसी पराए मर्द के साथ संबंध स्थापित करती है तो वो पाप की भागीदार मानी जाती है. मृत्य के बाद ऐसी आत्मा को यमलोक की यातना सहनी पड़ती है और छिपकली, सांप या चमगादड़ के रूप में नया जन्म मिलता है.

  1. गौहत्या करना घोर पाप है गरुण पुराण में

पवित्र या धार्मिक स्थलों को बुरी दृष्टि से देखने वाले लोगों या फिर पवित्र अग्नि, पवित्र पानी, बगीचे या गौशाला में मलमूत्र का त्याग करने वाले और गौहत्या करने वाले लोगों के लिए गरुण  पुराण में सख्त सजा का जिक्र किया गया है। इन पापों के लिए खुद यमराज सजा देते हैं और पाप करने वाले को नरक में भेज देते हैं। इसके अलावा हरे-भरे वन, जंगल, फसल और पेड़-पौधों की हरियाली नस्ट करना और प्रकृति के नये जन्म का विनाश करना गरुण  पुराण में पाप की श्रेणी में आता है.