‘वाशिंग पाउडर निरमा, निरमा’ किसकी मेहनत ने इसे फेमस ब्रांड बनाया आइये आपको बताते हैं
आज मैं आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रही हूँ जो अपनी बड़ी सोच, मेहनत और लगन से जमीन से उठकर आसमान तक पहुंचा है. उस शख्स का नाम है करसन भाई पटेल. करसन भाई पटेल निरमा ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन हैं. एक समय करसन भाई साइकिल पर घूम घूम कर घर घर जाकर डिटर्जेंट पाउडर बेचा करते थे. लेकिन आज उनकी कुल सम्पत्ति 1.76 बिलियन डॉलर है.
करसन भाई लैब असिस्टेंट की सरकारी नौकरी तो कर रहे थे लेकिन उनके मन में कुछ बड़ा करने का था. और इसीलिए उनका मन काम में ज्यादा नही लगता था. काम करते करते उनके दिमाग में कुछ बड़ा करने का विचार हमेशा चलता रहता है. इसी दौरान एक दिन उनके मन में आइडिया आया कि कोई ऐसा डिटर्जेंट पाउडर तैयार किया जाये जो क़्वालिटी में साबुन जैसी बेहतर धुलाई कर सके और कीमत में साबुन तथा मौजूदा डिटर्जेंट पाउडर से कम हो. जिसे कम इनकम वाले लोग भी खरीद सकें.
बस आइडिया आते ही इन्होने अपने लैब में मिले अनुभव का प्रयोग करते हुए काम करना शुरू कर दिया. कई दिन अपने आइडिया पर काम करते हुए इन्हें आख़िरकार सफलता मिल ही गई. इन्होने पीले रंग का ऐसा पाउडर तैयार कर लिया जो धुलाई में साबुन से कम ना हो और जिसे कम दाम पर बेचा जा सके.
अब समस्या यह आई कि इस पाउडर का उत्पादन कैसे किया जाये? और इसे लोगों तक कैसे पहुँचाया जाये? उस समय उनके पास इतना पैसा नही था कि वह फैक्ट्री लगा सकें या मशीन खरीद सकें और ना ही उस समय वे इस स्थिति में थे कि वे अपने साथ किसी कर्मचारी को रख सकें और उसे सैलरी दे सकें. इसलिये उन्होंने खुद ही यह काम करने का फैसला किया. उन्होंने अपने घर के पिछवाड़े एक जगह पर पाउडर बनाने का काम शुरू कर दिया. वह अपनी नौकरी से बचे हुए समय में बिना मशीन के अपने हाथों से ही केमिकल्स को मिलाकर पाउडर बनाते थे.
पाउडर बनाने के बाद वह उसे पैकेटों में भरकर 10–15 पैकेट अपनी साइकिल पर रखकर रोजाना सुबह शाम नौकरी पर जाते और आते हुए बेचा करते थे. वह आते जाते रास्ते में मिलने वाले सभी लोगों से एक बार पाउडर खरीदकर उसे इस्तेमाल करने का आग्रह करते तथा पसंद ना आने पर पैसे वापस करने की गारंटी देते थे. उन्होंने अपने डिटर्जेंट पाउडर की कीमत 3 रु० प्रति किलोग्राम रखी थी जबकि उस समय बाजार में मिलने वाले डिटर्जेंट पाउडर की कीमत 12-13 रु० प्रति किलोग्राम थी.
लोगों ने पाउडर आजमा कर देखा तो उन्हें पाउडर अच्छा लगा. इतनी कम कीमत पर बेहतर धुलाई करने वाला उनका पीला पाउडर बहुत जल्दी लोगों की पसंद बन गया. घर घर में उनके पाउडर की डिमांड बढ़ने लगी.
1969 में उनके पाउडर की मांग इतनी बढ़ गई कि वे अकेले इसकी सप्लाई नहीं कर सकते थे. इसलिए उन्होंने नौकरी छोडकर एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई. कुछ कर्मचारियों और मशीनों के साथ उन्होंने “निरमा” नाम से अपना पाउडर बाजार में लांच किया.
कम दाम और बेहतर क्वालिटी के कारण निरमा पाउडर गुजरात, महाराष्ट्र से होते हुए पूरे भारत का एक पसंदीदा ब्रांड बन गया। और वाशिंग पाउडर का पर्याय बन गया।
निरमा नाम कहाँ से मिला
करसन भाई पटेल ने अपनी दिवगंत पुत्री “निरुपमा” के नाम पर अपने ब्राण्ड का नाम “निरमा” रखा था.
निरमा का स्लोगन
निरमा को घर घर तक पहुँचाने तथा इसे सफल बनाने में सबसे बड़ा हाथ इसके विज्ञापन और इसके स्लोगन “सबकी पसंद निरमा” का है.
मान गये! किसे? आपकी पारखी नजर और निरमा सुपर, दोनों को.
दूध सी सफेदी निरमा से आये, रंगीन कपड़े भी खिल खिल जाये, सबकी पसंद निरमा, वाशिंग पाउडर निरमा, वाशिंग पाउडर निरमा.
हेमा, रेखा, जया और सुषमा, सबकी पसंद निरमा.
अपने विज्ञापनों की इन लाइनों से ही निरमा लोगों की जुबान पर चढ़कर बोलने लगा.
करसन भाई पटेल की तरह आप भी अपनी सोच को हमेशा बड़ी रखें. बड़े सपने देखें. आज आप चाहे जिस भी स्थिति में हों हमेशा उस स्थिति से ऊपर उठने की कोशिश करते रहें. हमेशा अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की संभावनाओं पर विचार करते रहें.